SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xix स्वतंत्रता संग्राम में जैन आचार्य शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परम्परा के पांचवे आचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज का जन्म वि.स. 1974 (सन् 1917) आसोज शुक्ला चतुर्थी को ग्राम श्यामपुरा जिला मुरैना (म.प्र.) में हुआ था। आपने ऐलक दीक्षा वि•स• 2025 चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को रेवाडी (हरियाणा) में मुनि दीक्षा वि•स• 2025 अगहन बदी द्वादशी (सन् 1968) में गाजियाबाद (उ०प्र०) में ग्रहण की। आचार्य सुमतिसागर जी कठोर तपस्वी और आर्षमार्गानुयायी थे। आपने अनेक कष्टों और आपदायों को सहने के बाद दिगम्बरी दीक्षा धरण की थी। आपके जीवन में अनेक उपसर्ग और चमत्कार हुए। पंडित मक्खनलाल जी मुरैना जैसे अद्भुत विद्वानों का संसर्ग आपको मिला। आप मासोपवासी कहे जाते थे। आपके उपदेश से अनेक आर्षमार्गानुयायी ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ। सोनागिर स्थित त्यागी व्रती आश्रम आपको कीर्तिपताका पफहरा रहा है। आपने शताधिक दीक्षाएं अब तक प्रदान की थी। आपके प्रसिद्ध शिष्यों में उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज प्रमुख है। ऐसे आचार्यों, उपाध्यायों, मुनिवरों, गुरुवरों को शत्-शत् नमन, शत्-शत् वन्दन। सन् 1957 ई. में मध्य प्रदेश के मुरैना शहर में उपाध्याय जी का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम श्री शान्तिलाल जी एवं माता का नाम श्रीमती अशर्फी है। इनके बचपन का नाम उमेश कुमार था। इनके दो भाई और बहने हैं। भाइयों का नाम श्री राकेश कुमार एवं प्रदीप कुमार है तथा बहनों के नाम सुश्री मीना एवं अनिता है। आपने 5.11.1976 को सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की थी तथा आपको क्षुल्लक गुणसागर नाम मिला था। 12 वर्षों तक निर्दोष क्षुल्लक की चर्या पालने के बाद आपको आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज ने 31.3.88 को सोनागिर सिद्धक्षेत्र में मुनि दीक्षा देकर श्री ज्ञानसागर जी महाराज नाम से अलंकृत किया। सरधना में 30-1-89 को आपको उपाध्याय पद प्रदान किया गया। उपाध्यायश्री के चरण-कमल जहां पड़ते हैं वहां जंगल में मंगल चरितार्थ हो जाता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy