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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 120 स्वतंत्रता संग्राम में जैन जिला-बिजनौर (उ0प्र0) में को वटा देवी मेले पर बकरों की बलि दी जाती थी, हआ। पिता का नाम श्री वैद्य जी ने अनेक लोगों के साथ मिलकर उसे बन्द पूरनमल जैन था। आपके कराया था। आपका निधन 5-11-1956 को कानपुर पूर्वज जयपुर राज्य से शेरकोट में हुआ। आ0 (1) जै। स) रा) अ0, (2) वैद्य जी के प्रिय शिष्य आकर बसे थे। आपके पूर्वज पं0 बच्चू लाल जी जैन, कानपुर द्वारा प्रदत्त परिचय। श्री दीपचंद जी ने हकीम का व्यवसाय अपनाया और श्री कन्हैयालाल उर्फ मथुरालाल जैन दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गये। उनके पूर्वजों ने 1857 इन्दौर (म0प्र0) के श्री कन्हैयालाल उर्फ के गदर में भाग लिया था। वैद्य कन्हैयालाल का मथुरालाल जैन, पुत्र-श्री रूपचंद का जन्म 2 जुलाई वैद्यकी परीक्षा में प्रथम स्थान आने पर अम्बाला छावनी 1930 को हुआ। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में महासभा के जलसे में सम्मान हुआ था। में आपने भाग लिया। फलत: 2 माह की अवधि अपने वैद्यकीय व्यवसाय को प्रतिष्ठा की चरम तक गिरफ्तार रहे। आजादी के बाद शासन ने आपको सीमा पर पहुंचाने वाले कन्हैयालाल जी स्वतंत्रता प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। आंदोलन में भी उतनी ही तल्लीनता से सक्रिय रहे। आ0- (1) म) प्र) स्व0 सै), भाग 4, पृष्ट 121 1930 के आन्दोलन में उन्हें छह मास का कारावास मिला। 'जैन सन्देश' के अनुसार वे सच्चे अर्थों में श्री कपूरचंद छाबड़ा दशभक्त थे। उनकी पत्नी श्रीमती गंगा बाई, पत्र महेशचंद्र 1913 के आसपास जन्मे, जयपुर (राज)) के व सुन्दरलाल सभी जेल यात्री हैं। आप कुछ दिन श्री कपूरचंद छाबड़ा 1932 में सत्याग्रह करने अजमेर बम्बई भी रहे। 'जैन संदेश' लिखता है-'पूज्य बाल गये और वहीं गिरफ्तार कर नौ माह जेल में रखे गंगाधर तिलक के द्वारा चलाये स्वदेशी आन्दोलन के गये। 1939 के प्रजामण्डल आन्दोलन में भी आपने समय आप बम्बई में स्वदेशी व्रत धारण कर चुके भाग लिया, पर पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। हैं। 1930 के आन्दोलन में आप छह मास के लिए आजीवन खद्दरधारी श्री छाबडा जनता की सेवा के जेल जा चुके हैं। हमेशा कांग्रेस के प्रत्येक कार्य में लिए सदैव तैयार रहने से बड़े लोकप्रिय रहे हैं। शरीक होते हैं। म्यूनिसिपल बोर्ड कानपुर के मेम्बर आ)-(1) रा) स्था) से0, पृ0-6(03 भी रह चुके हैं।' आपको प्रवचन का शौक था। बड़े मंदिर कानपुर श्री कपूरचंद जैन में सदैव शास्त्र पढ़ते थे। शुद्ध औषधियाँ व्रती श्रावकों ___ गढ़ाकोटा, जिला-सागर (म0प्र0) के श्री कपूरचंद को मिलें इस हेतु आपने एक औषधालय की स्थापना जैन, पुत्र- श्री दरबारीलाल जेन 1942 के भारत छोड़ो की थी। कानपुर में अनेक संस्थाओं से आप सम्बद्ध आन्दोलन में 15 दिन नजरबन्दी में रहे। रहे हैं। अनेक संस्थाओं की स्थापना भी आपने की है। आ()-(1) म) प्र) स्व0 70, भाग-2, पृष्ठ-11, (2)आ। 1040 में जब आपके पुत्र सन्दर लाल जी दी), पृ0-32 गिरफ्तार कर लिये गये, तब आप जेल में ही थे। श्री कपूरचंद जैन 2 माह बाद वीर शासन जयंती के दिन मझले पुत्र श्री कपूरचंद जैन का जन्म 1921 में सैदपुर, महेश चंद को भी जेल भेज दिया गया, तब भी आप जिला-ललितपर (प) में आ आपके पिता श्री विचलित नहीं हुए। कानपुर में चैत्र शुक्ल अष्टमी पल्टराम थे। आपने श्री विजय कृष्ण शर्मा के साथ For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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