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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 113 आपने युवकों का एक दल बनाकर रेल की के वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता श्री त्रयम्बक दामोदर, मध्य पटरियों को उखाड़ने, टेलीफोन के तार काटने का भारत के दो भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री तख्तमल जैन व दृढ़ संकल्प लेकर कार्यक्रम शुरू कर दिया। उज्जैन, लीलाधर जोशी तथा उज्जैन नगर कांग्रेस के अध्यक्ष कोटा, मुरैना, ग्वालियर और भोपाल क्षेत्र के अनेक बनारसी दास जैन आदि प्रमुख नेताओं ने बचाव हिस्सों में पटरियों को उखाड़ कर रेलों के आवागमन समिति बनाई। वकीलों की ओर से बचाव की पैरवी को रोक दिया गया व टेलीफोन के तारों को काट-काट का नेतृत्व तत्कालीन एडवोकेट जनरल माननीय कर सारी कार्य प्रणाली को ठप्प कर दिया गया। श्री के0एल0 चितले ने किया था। करीब एक वर्ष इसी बीच उज्जैन में एक जुलूस का नेतृत्व तक मुकदमा चला और 1943 के अन्त में अवन्तीलाल करते हुए पुलिस ने आपको गिरफ्तार कर लिया। व उनके साथियों को छोड़ दिया गया। उज्जैन व ग्वालियर की जेलों में रखने के बाद भारत की आजादी के लिए क्रांतिकारी प्रवृत्तियों, मुंगावली में बनाई गई नजरबन्द जेल में आपको भेज उग्र स्वभाव, तोड़-फोड़ और मौका आनं पर हिंसा दिया गया। 6 माह के बाद भी जब आप अपने लक्ष्य करने में भी आगे रहने के कारण आप कम्युनिस्ट से विचलित न हुए तो ब्रिटिश शासन के सुपुर्द कर पार्टी में सम्मिलित हो गये। आपने उज्जैन, रतलाम, दिया गया। आपको इन्दौर रेसीडेण्सी जेल में भेज ग्वालियर व बम्बई में बड़े-बड़े मजदूर आंदोलनों का दिया गया और रेल की पटरियां उखाडने, टेलीफोन सफलता से संचालन किया। इसके बाद कम्युनिस्ट और टेलीग्राफ के तार काटने व देशद्रोह के आरोप में पार्टी के टिकिट पर ही आप उज्जैन नगरपालिका के मुकदमों की कार्यवाही शुरू कर दी गई। आप इन्दौर सदस्य और बाद में निर्विरोध अध्यक्ष चुन गये।। रेसीडेण्सी जेल में बंद थे और मुकदमा चल रहा था आजादी के बाद से ही आप 'नई दुनियां' से भोपाल में। श्री जैन राजनीतिक कैदी थे किन्तु सुलूक सम्बद्ध हैं। हरिजनों के लिए आपने बहुत कार्य किये किया जाता था जघन्य हत्या के आरोपियों की तरह। हैं। आपने तीन बार विदेश यात्रा की है। आप उज्जैन दोनों हाथों में भारी-भरकम हथकडियां डाल कर जिला सहकार संघ के अध्यक्ष (1958), उज्जैन सुनवाई के लिए भोपाल ले जाया जाता था। एक बार जिला केन्द्रीय बैंक के चेयरमैन (1954 से 1964) भोपाल ले जाते समय एक पुलिस अधिकारी ने उज्जैन जिला भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष (1967) आपसे कुछ अपमानजनक शब्द कह दिये। बस फिर आदि पदों पर रहे। आपका अनेक बार राष्ट्रीय स्तर पर क्या था, उस अधिकारी की श्री जैन ने हथकड़ियों सम्मान हुआ है। से जकड़े हाथों से ही मार्ग में ऐसी मरम्मत की, कि 1983 में आपका 'हीरक जयन्ती अभिनन्दन वह अधमरा सा हो गया और उसे अस्पताल में कुछ समारोह आयोजित हुआ था। इस अवसर पर एक दिनों के लिए भर्ती कराया गया। सचित्र स्मारिका प्रकाशित हुई है। जिसमें आपके मुकदमें की सुनवाई के समय सबके सम्मुख बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का आकलन किया एक ही प्रश्न था। 'फांसी या कैद ?' गया है। पूरे मालव अञ्चल में आप 'भाई साब' के कैसे मुकदमें से निकाला जावे।' इसके लिए नाम से पुकारे जाते हैं।। देश-प्रेमियों के दो दल गठित हुए। एक वकीलों का आ()- (1) म) प्र) स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ- 157, (1) अवन्ती पुत्र : अबंतीलाल जैन, होरक जयन्तो स्मारिका, (3) और दूसरा नेताओं का। इस ऐतिहासिक, बहुचर्चित नई दुनिया, 5-11-1997 तमा ३ 5-1998. (1) दैनिक भास्कर, मुकदमें से बचाव के लिए तत्कालीन ग्वालियर राज्य ।। 8. 1998 आदि For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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