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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 97 भारत में हमें एक खुशहाल देश देखने को मिलेगा। जन्म सात जुलाई 1919 को बमराना, जिला-झाँसी हुआ भी यही, आजादी के समय इस देश में सुई का (उ0 प्र0) में हुआ। अल्पवय भी कारखाना नहीं था, सिंचाई व्यवस्था, विद्युत संयंत्र, में ही आपको मातृ-पितृ शिक्षा का भी कोई खास फैलाव नहीं था। पंचवर्षीय वियोग सहना पड़ा। योजनाओं द्वारा हमने कल कारखाने लगाये........ किन्तु आपने ललितपुर, आज देश में चारित्रिक गिरावट हुई है। रिश्वतखोरों, साढूमल, बरुआसागर आदि बेईमानों, घोटालों की बू आज हमें हर तरफ दिखाई दे स्थानों पर शिक्षा ग्रहण की रही है। .... इस गहन अंधकार को दूर करने वाला और उच्च शिक्षा के लिए कोई सूरज अवश्य निकलेगा।' वाराणसी के स्याद्वाद महाविद्यालय पहुंचे, जहाँ ___ आ3- (1)म0प्र0स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ 170, (2) दैनिक से आपने न्यायतीर्थ और जैनदर्शनाचार्य की परीक्षायें उत्तीर्ण की। भास्कर, जबलपुर, 22 अगस्त 1997 स्याद्वाद महाविद्यालय 1942 में क्रान्तिकारियों श्री अमृतलाल चंचल का गढ़ था। विद्यालय के सभी छात्र आजादी के राष्ट्रीय गीतों के प्रसिद्ध लेखक श्री अमृतलाल आन्दोलन में शरीक हुए थे और अधिकांश ने गिरफ्तार चंचल, पुत्र-श्री हजारीलाल का जन्म 9 नवम्बर होकर जेल की दारुण यातनायें सही थीं। शास्त्री जी 1913 को टिमरनी, जिला- ने अपने 21-9-1994 के पत्र में स्वयं लिखा है-'सन् होशंगाबाद (म0प्र0) में हुआ। 1942 के राष्ट्रीय आन्दोलन में स्याद्वाद महाविद्यालय बाद में आप गाडरवारा, के छोटे-बड़े सभी छात्रों ने सक्रिय भाग लिया था। जिला- नरसिंहपुर (म0प्र0) सभी को भिन्न-भिन्न काम सौंपे गये थे। पिस्तौलों की आकर बस गये। जब रक्षा तथा आगन्तुक नेताओं की व्यवस्था का भार मुझे आप इन्टरमीडिएट में सौंपा गया था। ......इक्कीस दिन तक हम तीनों अध्ययनरत थे तभी से विद्यार्थी (शास्त्री जी, श्री घनश्यामदास व श्री गुलाब चंद) आन्दोलन में सक्रिय हो गये। 1932 के आन्दोलन में हवालात में बंद रहे। श्री गणेशदास जैन ने जमानत आपने हरदा में सत्याग्रह किया, गिरफ्तार हुए और देकर हमें छुड़ाया। उस समय जमानत देने वाले नहीं साढ़े सात माह का कारावास भोगा। आपने अनेक मिलते थे... राष्ट्रीय और जैन कवितायें लिखीं साथ ही सौभाग्य का विषय है कि जिस स्याद्वाद 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' और 'भक्तामर' का हिन्दी महाविद्यालय में आपने अध्ययन किया और क्रान्तिकारी पद्यानुवाद किया है। गतिविधियों में भाग लिया. उसी विद्यालय में आप ___आ0 (1) म0प्र0 स्व0 सै), भाग-1, पृष्ठ 137 1944 में अध्यापन कार्य करने लगे तथा 195) तक (2) स्व) प0 कार्य किया। 1960 से 1980 तक सम्पूर्णानन्द श्री अमृतलाल जैन शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, 1981 से 1988 जैन साहित्य के तलस्पर्शी विद्वान, सकवि तथा 1993 से 1996 तक आपने जैन विश्वभारती पं0 अमृतलाल शास्त्री, पुत्र-श्री बुद्धिसेन जैन का (सम्प्रति मान्य विश्वविद्यालय), लाडनूं (राजस्थान । For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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