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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 95 सबने मिलकर अनशन शुरू कर दिया और सातवें सदस्य रहे। लम्बी बीमारी के पश्चात् दिनांक अनशन पर जब डाक्टर ने रिपोर्ट दी कि, ये सब मर 17-1-1983 को आपका स्वर्गवास हो गया। जायेंगे, तब जाकर अत्याचार कम हए इस तरह मैहर आ)- (1) म0प्र() स्व) सै0, भाग जेल में एक वर्ष छ: माह बिताये।' नरेश दिवाकर द्वारा प्रेषित परिचय। ___ आ)-(1) म) प्र) स्वा) सै), भाग 5. पृ0 256 (2) स्वः) श्री अभयकुमार जैन पा, (3) अनेक प्रमाण पत्र (4) वि0 स्व0 स) इ), पृ0-344 व्यवसाय से चिकित्सक और 'अग्रगामी' जैसे श्री अभयकुमार जैन राष्ट्रीय पत्रों के प्रकाशक, कटनी, जिला-जबलपुर 'अब्बू' उपनाम से विख्यात श्री अभयकुमार जैन, (म0प्र0) के श्री अभयकुमार जैन, पुत्र-श्री बारे लाल पुत्र-श्री गुलाबचन्द जैन का जन्म 7 सित0 1913 को का जन्म 1904 में हुआ। आयर्वेद तथा होम्योपैथी सिवनी (म0प्र0) में हुआ। चिकित्सा में महारत प्राप्त श्री जैन 1920 से ही 1937 में आपने कांग्रेस स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय हो गये थे। 1930 के की सदस्यता ग्रहण की। जंगल सत्याग्रह में भाग लेने पर आप जबलपुर तथा 1942 के भारत छोडो मंडला जेलों में लगभग साढ़े सात माह बंद रहे। आन्दोलन में आपने भाग 1934 में 'आदर्श' तथा 1938 में 'अग्रगामी' नामक लिया तथा सिवनी, राष्ट्रीय पत्रों का प्रकाशन आपने किया था। आ) - (I) म0प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ 29, (2) | छिन्द बाड़ा, नागपुर, जैस) रा() अ01 जबलपुर जेलों में डेढ़ वर्ष का कारावास भोगा। सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित करने वाले श्री जैन में श्री अभयमल जैन देश सेवा, ईमानदारी, राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा एवं श्रद्धा 'मारवाड़ लोक परिषद्' के संस्थापकों में एक कूट-कूट कर भरी थी। श्री अभयमल जैन का जन्म जोधपर (राजस्थान) में भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1906 ई.) में हुआ। शिक्षा समाप्त कर वे जोधपुर स्वतंत्रता के पच्चीसवें वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता रेलवे- कार्यालय में नौकरी करने लगे। राष्ट्रीय भावना आन्दोलन में स्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से ओत-प्रोत श्री जैन ने 1928 से खादी पहनना शुरू से आपको ताम्रपत्र भेंटकर सम्मानित किया था। इसी किया और 1932 में जब श्री जयनारायण व्यास ने पुष्कर में मारवाड़ राजनैतिक सम्मेलन बुलाया तो श्री प्रकार दिगम्बर जैन समाज की ओर से भी सम्मान पत्र जैन उसमें भाग लेने गये, हुआ वही जिसकी उन्हें भेंटकर आपको सम्मानित किया गया था। शासकीय आशंका थी, उन्हें राजद्रोहात्मक कार्यों में भाग लेने उपाधि महाविद्यालय, सिवनी की ओर से भी आपको का अपराधी मानकर नौकरी से निकाल दिया गया। अभिनंदन पत्र भेंट किया गया था। अब वह खुलकर सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने वर्ष 1975-76 में आप बीस सूत्रीय आर्थिक लगे। कागज स्टेशनरी की जो दुकान उन्होंने खोली कार्यक्रम समिति के सदस्य, 1981 से 83 तक जिला वह राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र बन गई। 1936 इंदिरा कांग्रेस कमेटी, सिवनी के कार्यकारी अध्यक्ष, में आपने अपने सहयोगी श्री मानमल जैन और श्री वर्ष 1982 में जिला थोक उपभोक्ता भण्डार के छगनराज चौपासनी के साथ छात्रों की शुल्क वृद्धि For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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