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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 68 स्वतंत्रता संग्राम में जैन अमर शहीद कुमारी जयावती संघवी अहमदाबाद (गुजरात) की कुमारी जयावती संघवी भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन की वह दीपशिखा थीं जो अपना पूरा प्रकाश अभी दे भी नहीं पायीं थीं कि जीवन का अवसान हो गया। जयावती का जन्म 1924 में अहमदाबाद में हुआ था। 5 अप्रैल 1943 को अहमदाबाद नगर में ब्रिटिश शासन के विरोध में एक विशाल जुलूस निकाला जा रहा था। प्रमुख रूप से यह जुलूस कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का ही था। इसमें प्रमुख भूमिका जयावती संघवी निभा रही थीं। जुलूस आगे बढ़ता जा रहा था,पर यह क्या? अचानक पुलिस ने जुलूस को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़ना प्रारम्भ कर दिया। स्वाभाविक था कि गोले आगे को छोड़े गये, अत: नेतृत्व करती जयावती पर इस गैस का इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि उनकी मृत्यु हो गयी। आ0- (1) क्रान्ति कथाएँ, पृ० 808 (2) शोधादर्श, फरवरी 1987 000 “मैं नहीं सारा राष्ट्र जैन है": श्रीमती इन्दिरा गांधी बात फरवरी, 1981 की है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी श्रवणबेलगोला में 'भगवान् बाहुबली महामस्तकाभिषेक समारोह' के अवसर पर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित कर दिल्ली लौट आईं थीं। संसद में बहस के दौरान कुछ संसद सदस्यों ने अनकी इस यात्रा पर आपत्ति की तो श्रीमती गाँधी ने कहा-''मैं महान् भारतीय विचारों की एक प्रमुख धारा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने वहाँ गई थी। जिसने भारतीय इतिहास व संस्कृति पर गहरा प्रभाव छोड़ा है और स्वतन्त्रता संग्राम में अपनाए गए तरीके भी इससे प्रभावित हुए हैं। गाँधी जी भी जैन तीर्थंकरों द्वारा प्रतिपादित अहिंसा व अपरिग्रह के सिद्धान्तों से प्रभावित हुए थे।" इस पर एक ससंद सदस्य ने व्यंग्य करते हुए प्रश्न किया कि-'क्या आप जैन हो गईं हैं?' तब श्रीमती गाँधी ने गर्जना के साथ उत्तर दिया- 'केवल मैं ही नहीं सारा राष्ट्र जैन है, क्योंकि हमारा राष्ट्र अहिंसावादी है और जैन धर्म अहिंसा में विश्वास रखता है। जैन धर्म के आदर्श के रास्ते को हम नहीं छोड़ेंगे।'' यह सुनकर प्रश्नकर्ता बगलें झाँकने लगे। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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