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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समयाबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. १५ आदानीयस्वरूपनिरूपणम् ४७ क्षेत्रादिभावरूपेण द्रव्यपर्यायरूपेण च जानाति न किमपि तस्यापरिज्ञातं भवतीति भावः ! अत्र 'तायी' इत्यनेन सामान्यस्य 'मनुते' इत्यनेन विशेषस्य परि. ज्ञातृत्वेन सः सर्वज्ञः सर्वदर्शीति प्रदर्शितम् । 'न कारणाभावात् कार्य समुत्पचने' इति न्यायात् 'दर्शनावरणान्तकः' इत्यनेन घातिकर्मचतुष्टयस्य क्षपकत्वं प्रदर्शितम् घातिकर्मचतुष्टयक्षये सत्येव केवलज्ञान केवलदर्शनोत्पत्तिसंभवादिति ॥१॥ मूलम्-अंतए वितिगिच्छाए, से जाणइ अणेलिंसं । ___ अणेलिसस्स अक्खाया णं से होई तहि तहि॥२॥ छाया-अन्तको विचिकित्सायाः स जानात्यनीदृशम् । अनीदृशस्याख्याता न स भवति तत्र तत्र २॥ अतीत कालिक, वर्तमानकालिक और भध्यिकालिक इस प्रकार तीनों कालों के जीव अजीव आदि समस्त पदार्थों को जानता है। 'तय' धातु जानने के अर्थ में है। यहां 'तायी' इस पद से सामान्य धर्मों का जानना प्रकट किया गया है, और 'मन्नइ'. इस पद से विशेष धर्मों का जानना सूचित किया है। अतः वह सर्वज्ञ सर्वदर्शी होता है, यह प्रदर्शित किया गया है। ___ कारण के अभाव में कार्य की उत्पत्ति नहीं होती इस न्याय से 'दर्शनावरणान्तक' इस पद से चारों घातिक कर्मों का क्षय करने वाला अर्थ लियागया है, क्यों कि चारों घातियो कर्मों का क्षय होने पर ही केवलज्ञान और केवलदर्शन की उत्पत्ति होना संभव है ॥१॥ અને ભવિષ્ય કાળ સંબંધી આરીતે ત્રણે કાળના જીવ, અજીવ, વિગેરે સઘળા પદાર્થોને જાણે છે 'तय' धातु पाना अर्थ मा छे. अलियां 'तायी' मा ५४थी સઘળા ધર્મોને જાણનારા એ અર્થ પ્રગટ કરવામાં આવેલ છે. અને મારા આ પદથી વિશેષ ધર્મોના જાણનારા એમ સૂચિત થાય છે. તેથી તે સર્વજ્ઞ, સર્વદશી હોય છે. એમ બતાવવામાં આવેલ છે. ___णना मसभा आयना उत्पत्ति यती नथ.. ॥ न्यायथी 'दर्शना. वरणान्तक' मा ५६ थी थारे धातिया ४ाना क्षय ४२११से प्रभा ને અર્થ સ્વીકારવામાં આવેલ છે. કેમકે–ચારે ઘાતિયા કર્મને ક્ષય થાય ત્યારે જ કેવળજ્ઞાન અને કેવળદર્શનની ઉત્પત્તિ થવા સંભવ છે. ૧ For Private And Personal Use Only
SR No.020780
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size11 MB
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