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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रकृताङ्गसूत्रे बम्-विउहिएणं समयाणुसिटे डैहरेण वुड्डेण उ चोइए य। अच्चुट्रियाएं घडदासिएँ वा अगारिणं वा समयाणुसि ।। छाया-ज्युत्थितेन समयानुशिष्टो डहरेण वृद्धेन तु नोदितश्च । अत्युत्थितया घटदास्या वा, अगारिणां वा समयाऽनुशिष्टः ॥८॥ मिच्छामि दुक्कडं' इस प्रकार नहीं कहता बह साधु संसार प्रवाह में 'पड़ा रहता है । संसारसागर के पार नहीं पहुँच सकता ॥७॥ विउहितेणं' इत्यादि। शब्दार्थ-'विउहिएणं-व्युस्थितेन' शास्त्र के प्रतिकूल आचरण करनेवाले के द्वारा 'समएण-समयेन' सर्वज्ञप्रणीत आगमके अनुसार 'अणुसिडे-अनुशासितः' अनुशासित-मूलोत्तर गुणसे स्खलित होकर 'चोइए य-नोदितश्च' प्रेरित किया हुआ साधु 'डहरेण-दहरेण' छोटी वयवाले के द्वारा 'बुडेण उ-वृद्धेन तु' अथवा अधिक ऊपरवाले के द्वारा 'चोहए य-नोदितोऽपि' शुभ कार्य की ओर प्रेरित किया हुआ तथा 'अच्चुछियाए-अत्युत्थितया' अति नीच स्वभाववाली दासी के द्वारा अथवा 'घडदासिए वा-घटदास्या वा' जलपहन करनेवाली दासी के द्वारा प्रेरित किआ हुया तथा 'अगारिणं वा-गृहस्थानां वो कोई गृहस्थ जनके द्वारा 'समयाणुसिटे-समयानुशिष्ठः' गृहस्थधर्मानुसार शिक्षा देने पर अर्थात् गृहस्थ के द्वारा अपमान पूर्वक आक्षेप करने पर भी साधु क्रोध न करे ॥८॥ 'मिच्छामि दुक्कड' मा प्रमाणे ती नथी. ते साधु ससाना प्रवाहमा ५ રહે છે. અર્થાત્ સંસારસાગરની પાર પહોંચી શકતા નથી. __'विउदिएणं' त्याह साथ-'विउदिएण-व्युत्थितेन' शाखथी १ि३६ माय ४२॥२ वारा 'समण-समयेन' स xeflks 24 अनुसार 'अणुसिळे- अनुशा सेतः' मनुशा. सित भूटोत्तर शुलथी मलित वाथी 'चोइए य-नोदितश्च' प्रेरित ४२वा मावस साधु 'डहरेण-दहरेण' नानी भरवणा दा 'बुड्ढेण उ--वृद्धेन तु' अथ पधारे GA२१४ा द्वारा 'चाइए य-नोदितोऽपि' शुमय त२३ प्रेरित ३२१ मा मावेस तया 'अगारिणं वा-गृहस्थानां वा' यन द्वारा 'समयाणुमिद्वे-समयानु. ફિB.' ગૃહસ્થના ધર્મ પ્રમાણે શિક્ષા આપવામાં આવે ત્યારે અર્થાત્ ગૃહસ્થ દ્વારા અપમાન પૂર્વક આક્ષેપ કરવામાં આવે તે પણ સાધુએ ક્રોધ કર નહીં પ૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020780
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size11 MB
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