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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९-१२ सूत्रकृताङ्गसूत्र भा. दूसरे की विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय तीसरा अध्ययन का पहला उद्देशा १ साधुको परीषह और उपसर्ग को सहन करनेका उपदेश २ संयम का रूक्षत्व का निरूपण ३ भिक्षापरीषह का निरूपण ४ वधपरीषह का निरूपण १७-२६ ५ दंशमशकादि परीषदों का निरूपण २७-२८ ६ केशलंबन के असहत्व का निरूपण २९-३१ ७ परतीथिकों का पीडित करनेका निरूपण ३१-३७ ८ अध्ययन का उपसंहार ३७-३९ तीसरे अध्ययन का दूसरा उद्देशा ९ अनुकूल उपसर्गों का निरूपण ४०-८७ तीसरे अध्ययन का तीसरा उद्देशा १० उपसर्गजन्य तपासंयम विराधना का निरूपण ८८-१०६ ११ अन्यतीर्थिकों के द्वारा कहे जानेवाले आक्षेपवचनों का निरूपण १०७-१११ १२ अन्यतीर्थिकों के द्वारा किये गये आक्षेप वचनों का उत्तर १११-१२५ १३ बाद में पराजित हुए अन्यतीथिकों की धृष्टता का प्रतिपादन १२५-१३० १४ वादिके साथ शास्त्रार्थ में समभाव रखने का उपदेश १३१-१३७ तीसरे अध्ययन का चतुर्थ उद्देशा १५ मार्ग.से स्खलित हुए साधु को उपदेश १३८-१९९ For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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