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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रकृताङ्गसूत्रे एतदुत्तरं सूत्रकारः प्राह--'तत्थ मंदा' इत्यादि । मूलम्-तस्थ मंदा विसीयंति वाहच्छिन्ना व गंदभा। . पि ओ परिसंप्पंति पिट्सप्पी य संभमे ॥५॥ छाया--तत्र मन्दा विषीदन्ति वाहच्छिन्ना इव गर्दभः । पृष्ठतः परिसर्पन्ति पृष्ठसपी च संभ्रमे ॥५॥ अन्वयार्थः--(तत्थ) तत्र-तस्मिन् कुश्रुन्युपसर्गे (मंदा) मन्दाः बालाः (वाहच्छिन्ना) वाहच्छिन्नाः भाराक्रान्ताः (गद्दभाव) गर्दभाइच (विसीयंति) विषीदन्ति: संयमपालने दुःखमनुभवन्ति (संभमे) संभ्रमे अग्न्यादिदाई (पिट्ठसप्पी) पृष्ठस इसके अनन्तर सूत्रकार कहते हैं--'तत्थ मंदा' इत्यादि । शब्दार्थ-'तस्थ-तत्र' उसकुश्रुतिका उपसर्ग होने पर 'मंदा-मन्दाः' अज्ञानी पुरुष 'वाहच्छिन्ना-वाहच्छिन्नाः' भारसे पीडित 'गदभावगर्दभा इव' गदहे के जैसा 'विसीयंति-विषीदन्ति' संयम पालन करने में दुःख का अनुभव करते हैं 'संभमे-संभ्रमे' जैसे अग्नि आदिका उप. द्रव होने पर 'पिट्ठसप्पी-पृष्ठसर्पिण' लकडे की सहायतासे चलनेवाला हाथ पैर रहित पुरुष 'पिट्टो-पृष्ठतः' भागनेवाले पुरुषों के पीछे पीछे 'परिसप्पंति-परिसपैन्ति' चलता है उसी प्रकार ये अज्ञानी जन संयम पालने में सबसे पीछे ही हो जाते हैं ॥५॥ ____ अन्वयार्थ--कुशास्त्र का उपसर्ग होने पर अज्ञानी साधु उसी प्रकार संयम पालन में दुःख का अनुभव करते हैं, जिस प्रकार भारा त्या२ मा सूत्र४२ ४३ छ -'तत्थ मंदा' इत्याहि-- शहाथ-'तत्थ-तत्र' ते श्रितिन। ७५स थाय त्यारे 'मंदा-मन्दाः' मज्ञानी ५३१ 'वाहच्छिन्ना-वाहच्छिन्नाः' माथी पीडित 'गद्धमा व-गर्दभा इव' गधेडानी नेम 'विसीयंति-विषीदन्ति' संयम पालन ४२वामां मना मनु११ ४३ . 'सभमे-संभ्रमे' २वी रीत मन परेन। ७५द्रय थाय त्यारे 'पिट्रसपी-पृष्ठसर्पिणः' १४ानी सहायताथी यसवावाणे। 12, ५१ । ५३५ ‘पिटू ओ-पृष्ठतः' भावावा॥ ५३योनी ५७॥ ५४१ ‘परिसपंति-परिसर्पन्ति' या छे ते मारे ! अज्ञानी माणुसे। सयम पालन ४२वामा બધાથી પાછળ જ થઈ જાય છે. પા સુત્રાર્થ–જેવી રીતે ભારનું વહન કરવાને અસમર્થ ગર્દભ વિષાદને અનુભવ કરે છે, અથવા જેવી રીતે ચાલવાને અસમર્થ પુરુષ અગ્નિને ભય For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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