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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी- चरिख। सुरसुंदरी- या तिव वसंतमासागमं दई / समएवि कालिमा वयणे / इस काम यड्डियअलिउलझंकारगहिरसद्देण / गायतिव तरुनियरा वसन्तमासागमे तुट्ठा // 41 // मयरंदपिंजराओ विसदृसुगंधकुसुमवयणाओ। वणराईओ हसंतिव वसंतमासागमं दटुं // 42 // दह्वणव तरुनियरं महुसमए बहलपत्तलच्छायं / अवमाणिओ पलासो कसिणमुहो परिच्छेओ। झत्ति संजाओ // 4 // अच्छउ ता फलकाले फुल्लिमंसमएवि कालिमा वयणे / इय कलिउंच पलासो चत्तो पत्तेहिं किविणोच्च // 44 // | दवण वणसमिद्धिं पलासविडवेहिं मउलियं वयणं / अमेवि हु अप्पत्ता पररिद्धिं नेय विसहति // 45 // अविय / पावियवसंतमासो वणम्मि निस्सेसपीयलोहियओ। पियविरहियपहियाणं भयजणओ किंसुयपिसाओ // 46 // अन च / पंचसरलो एण मैहुमासबिइजएण दयरहिये। हम्मंतीओ गाढं दवणव पहियमहिलाओ॥४७॥ हसियव मज्झसंठि- * |यकलयंठिकएण कूइयरवेण / पयडियमंजरिगुरुदंतपतियं चूंयविडवेहिं // 48 // दद्दूण पहियनिवहं निहयं महुमासलो यनरेण / ओ. यमुहीओ कुसुमंसुएहि रोयंतिव लयाओ॥४९॥ मयपहियाण जलंतिव ठाणे ठाणे महंतचीयाओ। घणकिंसुयच्छलेणं अलिरकमि-I सिमिसियसहाओ // 50 // निज्झरतडेसु तरुणो पवणपहल्लंतजलनिबुडेहिं / साहाकरहिं देंतिव जलंजलिं जत्थ पहियाणं // 51 // किंच। घणकिंसुयनवरंगयविराइया बद्धपवरमयणहला / पाडलकुसुमा सोहई वसंतलच्छी नववहुव्व // 52 // १त्यकः / 2 कृपणः / 3 अपात्राणिन्तुच्छाः, अपत्राश्च पत्ररहिताः / 4 लुब्धकः व्याधः / 5 मधुमासद्वितीयेन वसन्तसहितेनेत्यर्थः / 6 प्रकटिता की // 20 // मञ्जर्य एव ये गुरवो महान्तो दन्तास्तेषां पक्कियत्र इसने तदिति / 7 चूतविटपैः आम्रशाखाभिः / 8 अवनत-मुखाः / 9 कुसुमान्येवाश्रुकाणि तैः / .चिताः / 1 निबुझा=निकुहिताः मग्नाः। For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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