________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म्मिवि पञ्चंतदेसम्मि // 200 / जाजीवइ एस पिया एयम्मि मयम्मि पुण जहा जुत्तं / तइय चिय काहामो किं इहि तीए चिंताए? // 201 // एवं विणिच्छियमई कइवयपियपरियणेण परियरिओ। सामंतमंतिपुरनायगेहिं रना य अन्नाओ॥२०२॥ नीहरिओ तत्तो |हं कमेण अह पावित्रं इमं पल्लिं / सीहगुहं नामेण अच्छिउमेईए पारद्धं // 203 // मिलिया मज्झ अणेगे भिल्ला चोरा कुकम्मनिरया | य / तेहिं परिवारिओ हं संपइ पल्लीवई जाओ // 204 // तं जं तुमए पुढे तुम्हाणं कह णु एत्थ आवासो। उत्तमनराण पाविट्ठलोयजोगाए पल्लीए // 205 // एवं संखेवेणं कहियमवत्थाणकारणं एत्थ / तं तुह धणदेव! मए गरुयसिणेहेण सबंपि // 206 // भणियं धणदेवेणं अबो ! जणओपि एरिसं कुणइ / अवमाणं पुत्ताणं धी! धी! संसारवासस्स // 207 // सो चिय कजवसेणं बल्लहओ होइ | | एत्थ संसारे / कारणवसेण सोवि हु रिउव्व वसो जणो होइ // 208 // परमत्थओ न कोवि हु पिओ व सत्तू व अत्थि लोगम्मि / | नइ माया नेय पिया सकञ्जवसओ जणो सहो // 209 // पुत्तोवि सत्तुसरिसो दीसइ नियकारणे अपुजंते / पिउणा सुविणीओवि हु | धिरत्थु संसारवासस्स // 210 // तं चिय कुमर! महप्पा तं चिय पसमस्स लद्धपरमत्थो / तं चिय विवेयजुत्तो तुमए चिय मंडिया || | वसुहा / / 21 / / पिउणाऽवमाणिओवि हु अचं असमंजसं अकाऊणं / संतम्मि बले तहवि हु देसच्चाओ कओ जेण // 212 // एमाइवयणवित्थरअवरोप्परवड्डमाणनेहाणं / ताणं पंच व सत्त व वोलीणा वासरा जाव // 213 / / तावय सेमत्थसत्थं दट्टणं गमणउच्छुगीभूयं / धणदेवो आपुच्छइ गमणत्थं सुप्पइ8 तं // 214 // तुम्ह विओगो दूसओ एसो सत्थो समुच्छुगीभूओ। तं कुमर ! अम्ह जायं प्रत्यन्तदेशे समीपदेशे। 2 अज्ञातः / 3 आसितुमेतस्याम् / 4 धिक् / 5 द्वेष्यः / 6 अपूर्वमाणे / 7 महात्मा / 8 अतिक्रान्ताः / 9 समस्तसार्थम् / 10 उत्सुकीभूतम्-उत्कण्ठितम् / For Private and Personal Use Only