________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्ज धिरत्थु संसारवासस्स // 141 // जाणतो नियपुत्तो पियरं घाएइ जणणिसंजुत्तं / दोसपरद्धो जम्हा अहो! दुरंतो इमो दोसो | // 142 // रागाओ होइ दोसो दोसाओ होइ वेरसंबंधो / वेराओ पाणिघाओ तत्तो गुरुकम्मबंधोत्ति / / 143 // कैम्मगुरू पाणिगणो निवडइ तिरिनरयदुक्खगहणम्मि / दुक्खपरद्धो पावं कुणमाणो भमइ पुणरुत्तं // 144 // नरयाओ तिरियत्ते तिरियताओ पुणोवि नरयम्मि / दुक्खसयसंपउत्तं भवपरियट्टू कुणइ जीवो // 145 / / एवं नाऊण जणा रागद्दोसाण वजणं कुणह / भवसयकिलेसबहुलं | संसारं जेण उत्तरह // 146 // उग्गिनखग्गमबलं अवलोइय नरवईवि विम्हइओ। चिंतेइ अहो! धट्ठा मज्झ वहट्ठा इह पविट्ठा। || // 147|| लल्लक्कमुक्कहुंकारपुव्वयं थंभणीए विजाए / थंभियदेहा जाया निचिट्ठा चित्तमुत्तिव्व // 148 // देवीवि विम्हियमणा भणइ | य ललिए ! किमेवमारद्धं / पावे ! केण पउत्ता दुटेणं घाइया रनो? // 149 // रन्ना भणियं इत्थीए साहसं एरिसं न संभवइ / ता देवि! कोवि दुट्ठो दिवो कालेण पुरिसोऽयं // 150 // परविआच्छेयकरि विजं आवाहिऊण नरवइणा / चिरकालसाहियाओ छिन्नाओ तस्स विजाओ / / 151 // तच्छेयाओ जाओ पेयइत्थो सो पकंपमाणतणू / भणियं निवेण अणुहरइ देवि ! एसो कुमारस्स // 152 // ता नूर्ण सो एसो पढमो तुह पुत्तओ न अन्नोति / तं सुणिय इमा जाया भयलज्जासोयसंभंता // 153 // तम्मि य दिणम्मि सुरनं| दणाओ जलकंतसंतिओ दूओ। फुडवयणो नामेणं समागओ रायकज्जेण // 154 // सो वाहरिओ रन्ना पुट्ठो कि भद्द ! होइ सो एसो। सो जो पियंवयाए पासे संपेसिओ आसि 1 // 155 // जम्मदिणे नेमित्तियवयणाओ जायमेत्तओ पुत्तो। भणियं च तेण एवं एसो | परदो पीडितः। 2 कर्मभिर्गुरुः, कर्मबहुल इत्यर्थः / 3 भूयः / 4 परिवर्तः भ्रमणम् / 5 लल्लकं भीमम् / 6 चित्रमूतिरिव / 7 घातिका / / आहूय / 9 प्रकृतिस्थः / 10 अनुहरते अनुकरोति / For Private and Personal Use Only