________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ससंदरी चरिअं // 124| गवट्ठियनियवइरियदसणसंजायरोसेण // 12 // आगम्म तओ तुरियं अहिडिओ तेण कुंजरो सहसा / विच्छोलिंतो लोयं वेगेण पहा-चमो | विओ तेण // 13 // वडपायवसाहालग्गणेण नरवर ! तुमम्मि उत्तरिए / गयणेण समुप्पइओ तेणेव अहिडिओ हत्थी // 14 // मणि- परिच्छेओ | संजुयदेविकरपहारपरिविहुरिओ गयं मोत्तुं / जैणणीसमयं मरिही गयणाओ निवडिओ बइरी // 15 // इय चिततो नरवर ! कय| किच्चो सो सुरो गओ ठाणं / देवीवि कुंजरगया पडिया गयणाओ सरतीरे // 16 // युग्मम् / / उत्तरिऊण य तत्तो मिलिया सिरिद| तसत्थवाहस्स / चलिया सत्थेण समं कुसग्गनयरम्मि नरनाह ! // 17 // सत्थविलोवे जाए अडवीपडियाए तत्थ देवीए / जाओ पुत्तो दिट्ठो कओवओगेण देवेण / / 18 / / अह पुणरवि सो देवो वरं सरिऊण निग्धिणसहावो / संपत्तो वेगेणं देवीपासम्मि गुरुरोसो | // 19 // निउणं जोयतेणवि पभूयकालाओ पाव ! दिवो सि / काहामि वइरअंत अणुहब दुधिहियफलमिहि // 20 // एवं भणमाणेणं | पसुत्तकमलावईए अंकाओ / नरवर ! सो तुह पुत्तो हरिओ सुरकालबाणेण / / 21 / / गहिऊण य तं बालं चिंतेइ सुरो किलिट्ठपरि| णामो / मारेमि इमं सत्तुं इहि मलिँऊण हत्थेहिं ॥२२शा खंडाणि अहं काउं करेमि किंवा दिसाबलिं अहवा / अच्छोडेमि सिलाए तिलं तिलं किं नु छिंदामि ? // 23 // एवं हि कए अहवा न होज वियणा पभूयकालीया / मरणाउ तक्खणेण इमस्स अव्वत्तचि|त्तस्स // 24 // ता गंतूणं कथवि मुंचामि अमाणूसम्मि ठाणम्मि / तण्हाछुहाभिभूओ मरिही सयमेव दुक्खेण // 25 / / इय चिंतिऊण | मुक्को वेयड्ढसिलायलम्मि वियणम्मि / सो तुह पुत्तो नरवर ! सुरोवि पत्तो नियं ठाणं // 26 // नरवर ! अच्छउ एयं कहेमि अन | कहतरं ताव / ईसाणाओ चविओ विज्जुप्पहो एत्थ वेयड्डे // 27 // विक्षोभयन् / 2 उत्तीर्णे / 3 जनन्या सममित्यर्थः / 4 मर्दयित्वा / 5 आस्फोटयामि / 6 प्रभूतकालिकी / - कथान्तरम् अन्यां कथाम् / ||124 // For Private and Personal Use Only