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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं * * चउद्दहमो परिच्छेओ // 122 // दोन्निवि सुहम्मसूरिस्स परमविणएण / वंदंति चरणजुयलं अह सूरी भणिउमाढत्तो॥२०६॥ भोगसुहलालसाणं परदाररयप्पियाण | पुरिसाण / बहुविविडंबणाओ इह परलोए य जायति / / 207 // पावंति विसयतिसिया वहबंधणमारणाइदुक्खाई। नाऊण कुमर ! एवं भोगपिवासं परिचयसु // 208 / / परदारपसत्तेणं जं पावं चिक्कणं तए बद्धं / पुप्फसरिसो विवागो रैजन्भंसाइओ तस्स // 209 // एत्तोवि अणंतगुणं कडुयविवागं फलं तु परलोए / पाविजइ दुबिसहं नारयतिरियाइसंसरणे // 21 // एमाइदेसणाए आविम्भूयम्मि | चरणपरिणामे / पेव्वावियाई गुरुणा दोनिवि निचिन्नचित्ताई॥२११॥ मयहरियाए पासे भगिणीजुयलेण संजुया तत्तो। सम्मं गुरु| विणयरया सुलोयणा कुणइ विविहतवं // 212 / / एवं चंदजसाए पयमूले ताण अच्छमाणीणं / तिण्डंपि हु भगिणीणं गयाणि बहुपुव्वलक्खाणि // 213 / / मुणिणो कणगरहस्सवि घणवाहणसाहुणा समेयस्स / वोलीणाओ बहुया वरिसाणं कोडिकोडीओ // 214|| | अह अणसणेण सूरी कालं काऊण बीयकप्पम्मि / जाओ ससिप्पहसुरो विमाणचंदज्जुणाहिबई // 215 / / घणवाहणोवि मरिउं जाओ | सामाणिओ सुरो तस्स / विज्जुप्पहोत्ति इयरा देवी से चंदरेहत्ति // 216 // वसुमइअजावि तहा पुव्वुवनस्स तत्थ देवस्स / चंदज्जुणस्स जाया देवी चंदप्पहा नाम // 217 / / एत्तो य सो सुबंधू दइयाइ गुरुविरहसोयसंसत्तो। हट्टयरकाणणाईसु कत्थवि य घिई अपावितो // 218 // कणगरहस्स पउट्ठो चिंतेंतो विविहमारणोवायं रोद्दज्झाणोवगओ विलवंतो दीणवयणिल्लो / / 219 / / रयरमियहसियजंपियसहरिसअर्वगृहणाई दइयाए / पुणरुत्तं (मरंतो जाओ सो गहगहिउव्व // 220 // तिसृभिः विशेषकम् / / // 122 // , परित्यज / 2 त्वया / 3 राज्यभ्रंशादिकः / 4 आविर्भूते-प्रकटीभूते / 5 प्रवाजितौ। 6 अवगृहनं आलिङ्गनम् / 7 स्मरन् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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