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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit सुरसुंदरी चरिअं तेरहमो परिच्छेओ // 110|| संसिद्धाओ विज्जाओ विग्घसंभवो नत्थि / तहवि हु विग्धजयटा जुत्तं मह जावपूयाई // 106 // इय चिंतिय चलिओ हं अह फुरिय | दाहिणेण नयणेण / किं मन्ने मह सूयइ सुनिमित्तमिमंति चिंतितो॥१०७|| कइवि हु पयाणि जाव य वयामि धणदेव ! तत्थ वणगहणे / पिच्छामि ताव किंपागसाहिणो हिट्ठभूभागे // 108 // सुत्तंब मुच्छियं पिव सरीरसोहाए मुइयं तिब्वं / नियकुललच्छिमउंचं अमएणव निम्मियं जुबई // 109 // युग्मम् / / अविय / दीहरकसिणसुकोमलकुंतलभारेण सहइ अकंतं / आयड्डिय भमरउलं तीए कमलंब वरसीसं // 110 // कन्नतपत्तलोयणनासावंसोबसोहिओ रुइरो / उवहसइव मुहचंदो तीइ ससंकं असंपुन्नं // 111 // कंबुन्नयसुकुमाला गीवा जडसंगवजिया तीए। खर| कंटयकलियाई उवहसइ मुणालनालाई // 112 // घणवक्कलपीणुनयथणजुयलं सयललोयमणहारि। कह उर्वमिजउ तीऐ सुरिंदगयकुंभजुयलेण? // 113 // ताव य विवेयरहियं थणजुयलं कामुए ददं दहउ / पत्तसँवणाण तुम्हं नयणाण न होइ जुत्तमिणं // 114 // इय भणमाण मन्ने झीण मज्झं तु तीइ बालाए। अहवा अविणीयजणे उवएसो लहुययं कुणइ // 115 // गरुओ सिहिणाण भरो वोढब्बो कह मइत्ति चिंताए / झीण तीए मज्झं दालिदियधृयजणउव्व // 116 // मणहारिसुगंभीरा पयाहिणावत्तनाभिया तीए। मयरद्धयमज्जणकूवियव्य विहिणा विणिम्मविया // 117 // मसेलसूमालेणं वियडनियंबच्छलेण सा कुणइ / आलोइयमित्तेणवि समित्तलं | तरुणजणहिययं // 118 // रंभागम्भसुकोमलमुरुजुयं तीइ रेहए रम्म। मयणघरदारदेसे उज्झियमिव तोरणं विहिणा // 119 // 1 सूचिकाम् / 2 अपूर्वाम् / 3 अमृतेनेव / 4 सहइ राजते। 5 रुबिर:-श्रेष्ठः। 6 शशाकम् / 7 उपमीयताम् / 8 श्रवणः-मुनिः, वर्णाश्च / 9 झीण= * क्षीणम् / 1. स्तनयोः / 11 मांसल सुकुमारेण / 12 सकामम् / // 110 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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