________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि तेरहमो परिच्छेओ // 107|| सुरसुंदरीए एवं पिउभगिणिनिकेयेणे वसंतीए / अंतेउरविलयाणं अलमाणदं जणंतीए // 21 // वच्चति वासराई सुहेण जा कइवि, | ताव अन्नदिणे / अम्भितरपरिसाए कइवयनियपुरिससहियस्स // 22 // सुरसुंदरिसहियाए देवीए संगयस्स नरवइणो। पडिहारअणु- | माओ रनो अइवल्लहो वणिओ॥२३॥ भासुररयणसुपूरियथालकरो आगओ कयपणामो / धणदेवो नामेणं उवविट्ठो राइणो पुरओ | se24 // चतसृभिः कलापकम् / / उवणीयदरिसणीयो ससंभमेणेव राइणा भणिओ। भो भो धणदेव ! तुमं आसि गओ सिंहलद्दीवं | // 25 // ता कह णु लहु नियत्तो कुसलं पोयस्स किंचि नो जायं / जायं विग्धं जेणिह समागओ मासमेत्तेण ? // 26 / / बहुदिवसपावणिज्जे तम्मि गओ सिंहलम्मि दीवम्मि / सिग्धं जं सि नियत्तो महंतमच्छेरयं एयं // 27 // भणियं धणदेवेणं आयनसु नरवरिंद! वुत्तंतं / जह तत्थ गओ सिग्धं समागओ एन्थ नयरम्मि॥२८॥ सिंघलदीवागयवाणिएहिं पोच्छाहिओ इओ ताव / चलिओ तदु| चियभंडं चित्तूण बहुप्पगारमहं // 29 // तुम्हाण पायजुयलं पणमिय बहुसयडसत्थसंजुत्तो / गंभीरनामयं तं पत्तो वेलाउलं विउलं | // 30 // युग्मम् // ____ अविय / नावियजणपडिपुन पंउणीकीरंतजाणवत्तो हं / पूगफलनालिएराइरासिरेइंतरायपहं // 31 // गयदंतपालिकलियं गयवइव| यणंव कत्थइ विभाइ / कत्थइ कप्पूरागुरुचंदणसहियं सुरगिरिव // 32 // मुत्ताहारविराइयमहीवीढं पुंडरीयसिहरंव / कत्थइ जाइफ| लेलाकलिय तं कामुयमुहंच // 33 // नाणादेससमागयभूरिकरनिरुद्धसयलदिसिपक्खं / पविसंतभूरिभंडं नरवइभवणंव तं दिट्ठ // 34 // निकेतनं गृहम् / 3 विलया वनिता / 3 अलम्=अत्यर्थम् / 4 दर्शनीयम् उपहारः / 5 निवृत्तः प्रत्यागतः। 6 पोतः प्रबद्दणम् / 7 प्रोत्साहितः। / शकटम् अनः / 9 प्रगुणीक्रियमाणयानपात्रः सज्ज्यमानप्रवहणः / ||107 // For Private and Personal Use Only