________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि एगारहमो परिच्छेओ // 16 // धूया तं सुकयपुनस्स? // 212 // मज्झ सहीए भणियं भद्दे ! नरवाहणस्स नरवइणो। रयणवइदेवीए धूया सुरसुंदरी एसा / / 213 // | अच्चम्भुयगुणनियरा किं न सुया सयललोयविक्खाया। विजाहरधृयाए धूया सुरसुंदरी भद्दे ! ? // 214 / / एवं तीए वयणं सोऊणं | हरिसंवाहपुण्णच्छी। गहिऊण ममं कंठे पियवया भणिउमाढत्ता // 215 // अंबाए मज्झ पुट्विं वञ्जरियं आसि, मज्झ लहुभगिणी। भूमिचरमित्तस्स उ रन्नो मह भाउणा दिना // 216 / / ता माऊसियाधूया भगिणी तं होसि मज्झ चंदमुहि !| इय जंपिऊण दिन | तीए मह साइयं गरुयं // 217 / / तत्तो य मए भणिय आगच्छसु भगिणि! मज्झ गेहम्मि। बंधुजणवच्छलाए अंबाए सणं कुणसु | // 218 // भणियं पियंवयाए पिक्खिस्सं माउसिं पडिनियत्ता / कारणवसेण संपइ गच्छिस्सं भाउयसमीवं // 219 // इत्थत्थे निब्बंध मा काहिसि उच्छुगा अहं इण्हि / तत्तो य मए भणियं एवंति य किंतु पुच्छामि / / 220 // किंचिवि, तं मह साहसु, | तीए भणियं तु पुच्छ, साहेमि / भणियं च मए भद्दे ! कक्खाए गोविए एत्थ ? // 221 / / चित्तपडे किं अच्छइ लिहियं, चित्त| म्मि कोउगं मज्झ / ता दंसिजउ एयं जइ जोग्गं दंसिंउ भगिणि! // 222 // युग्मम् / / वियसियमुहाइ तीए पसारिउं दंसिओ पडो अम्ह / भणियं च तीइ एसो मए सहत्थेण लिहिउत्ति // 223 / / तत्थ य पडम्मि लिहियं दणमणंगसंनिभं तरुण / अमएणव सित्ता हं जाओ हिययस्स आणंदो // 224 // चिरपरिचियव्य दिवो दिट्ठी आणंदबाहपडिहत्था / जाया सव्वसरीरे समुडिओ बहलरोमंचो // 225 / / फुरफुरियं अहरेण उल्लसिय भुयलयाहिं सहसत्ति / ऊससिय च थणेणं थरहरियं ऊरुजुयलेणं // 226 // सुत्ताव मुच्छिया 1 अत्यद्भुतगुणानां निकरः समूहो यस्यां सा / 2 श्रुना / 3 हर्षबाष्पपूर्णाक्षी / 4 मातृ वसूदुहिता / 5 साइर्य सत्कारः / 6 माउसी-मातृष्वसा / . कक्खा कक्षा / 8 परिहत्यो पूर्णः / // 96 // For Private and Personal Use Only