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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | एगम्मि दिसाभाए वल्लरवेल्लीसणाहदुमगहणे / उत्तासियहंसउलो उहाविओ संउणसंदोहो॥११॥ निसुओ विम्यजणओ बहिरिय| आसन्नसत्तसुइविवरो। मुहरियदिसाविभागो गरुयखडकारसंसद्दो // 112 / / तिसृभिः विशेषकम् / सोऊण य तं सदं विम्हियउप्फुल्ल-* | लोयणेण मए / पुलइय तत्तोहुत्तं चिंतियमबो! किमेयंति // 113 // कस्स पुण एस सद्दो समुट्टिओ एत्थ वणनिगुजम्मि / इय चिंतंतो कोऊहलेण तत्तोमुहो चलिओ॥११४॥ ताव य दिट्ठा भूपट्ठिसंठिया बउलपायवसमीवे / मुच्छानिमीलियच्छी अधरियसुरसुंदरीरूवा // 115|| अहिणवजोव्वणउन्भेयसुंदरा सयलमणहरावयवा / पंउमचुया इव लच्छी नरवर ! वरवालिया एका ॥११६||युग्मम् / / नूणं नहत्थलाओ निवडतीए इमीए भूमीए / जुवईए पडिसद्दो समुडिओ एस सहसत्ति // 117|| कह मन्ने एरिसस्सवि जुवईरयणस्स एरिसाऽवत्था / विबुहजणसोयणिजा धी! विहिणो विलसिय चित्तं / / 118 // इय चिंततेण मए सीयलजलसीयरेहिं संसित्ता / मिउपवणकरणविहिणा अह विहिया सा समासत्था // 119 / / हरिणिव्व जूहभट्ठा सतरलतारं दिसाओ प्रलयंती / भणिया मए सुमहुरं कीस तुमं सुयणु! बीहेसि // 120 // मा भद्दे ! कुणसु भयं थेवंपि, हु जणयनिविसेसो हं / का सि तुम कत्तो वा इह पडिया | मज्झ साहेसु // 121 // / अविय / सग्गाओ निवडिया किं सावप्पहया सुरंगणा तं सि / किं वावि भट्ठविजा विजाहरवालिया सुयणु ! 1 // 122 // तुहरूवदंसणुप्पन्नहरणबुद्धिस्स नहपयट्टस्स / विजाहरस्स कस्तवि किंवा हत्थाओ पन्भट्ठा 1 // 123 / / साहेसु सुयणु! एवं महंतकोऊहलं इमं मज्झ / नीसाहारा कह नहयलाओ पडिया इहुजाणे ? // 124|| इय सा भणिया भूनाह ! मज्झ पडिउत्तरं अदाऊण। गुरुदु , शकुना:-पक्षिणः / 2 बधिरितासन्नसत्त्वश्रुतिविवरः। 3 पउर्ग-पद्मम् / 4 शोचनीया खेदकारिका / 5 पश्यन्ती / 6 थेवं-स्तोकम् / 7 शापप्रहुता। For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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