________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie सुरसुंदरी चरिअं। एगारहमो परिच्छेओ // 9 // पत्ताई सुरह ! मज्झ साहेसु / सो भणइ सुणसु सुंदरि ! पुवं मह भिल्लपुरिसेहिं // 68 // इह अडवीइ समिद्धो कुसग्गपुरपेथिओ वणि| यसत्थो / गहिओ तहिं च पत्तं एवं तुह जोग्गमाभरणं / / 69 // युग्मम् // तत्तो य मए भणियं मह संतियमेवमाभरणमेयं / सिरिदत्तनामगस्स ओ वणियस्स समप्पियं आसि // 70 // हरिसियमुहेण भणियं जइ एवं तरिहि सुंदरतरंति / ता गेण्ह इमं सुंदर ! इमस्स जोग्गा तुम नैना // 71 // अह तस्स दुट्ठभावं अन्नाऊणं तयं मए गहियं / तत्तो य पइदिणं सो उवैयरइ ममं असुहभावो // 72 // आगच्छइ एगते परिहासकहाओ कहइ मह पुरओ। सवियारं च पलोयइ दंसइ अणुरत्तमप्पाणं // 73 // अह अमदिणे | पिययम ! पावणं तेण मयणमूढेण / अगणिय कुलमजायं उज्झिय लजं सुदूरेण // 74 / / बहु मनिय अविवेयं भणिया एगतसंठिया | एवं / वम्महपीडियदेहो सरणं तुह सुयणु! अल्लीणो॥७५|| नियअंगसंगमेणं सहलं मम कुणसु जीवियं अञ्ज। तुह आयत्ता पाणा | सव्वस्सवि सामिणी तं सि // 76 // तुह सुयणु! किंकरो हं आणाकारी य परियणो सबो। गाढाणुरागरतं किं बहुणा इच्छसु | ममंति / / 77 // तव्वयणं सोऊणं सहसा बञ्जण ताडियाव अहं / उप्पन्नगरुयदुक्खा पिययम! चिंताउरा जाया // 78 // युग्मम् / / | हा! पाविट्ठो एसो बलावि सीलखंडणं काही / सरणविहूणाइ ममं, ता इण्हि किं करेमित्ति ? // 79 // निभत्थामि गिराहिं संपइ अइनिठुराहिं जइ एयं / ता एस अमजाओ इण्हिपि विरूवयं कुजा // 80 // ता संपइ मूयत्तं जुत्तं अवलंबिउ तओ पच्छा। पत्थावं लहिऊणं नासिस्समिमाओ पावाओ / / 81 // इय चिंतिय तुहिक्का अहोमुहं काउं तत्थ थक्का है। सोवि य दवण ममं निरुत्तरं पत्थिओ प्रस्थितः। 2 मम सत्कं=मम संबन्धि / 3 नन्ना-नान्या / 4 अज्ञात्वा / 5 उपचरति-समानयति। (भालीनः भागतः / 7 निर्भर्त्स| यामि / 8 मूकत्वम् / // 91 // For Private and Personal Use Only