________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी नवमो परिच्छेओ चरिअं। // 79 // दिट्ठा पभूयकालाओ। अइसोहणं हि जाय जे सासुरयपि तुहवि एत्थ // 235 // जं तुमए दिवाए दिट्ठ मन्नामि पिईहरं सवं / इय भणिउं देवीए उचियपवित्ती कया तीए // 236 / / उवविट्ठाओ दोनिवि कुसलपवित्ती य साहिया सव्वा / खणमेगं संभासं काऊण भणइ सिरिकता // 237 // गच्छामि इण्हि गेहे तत्तो कमलावई इमं भणइ / पइदियहं अइ ! तुमए आगंतव्वं मह समीवे // 238 // | भणिय सिरिकताए एवं काहामि एवं भणिऊणं / देवीए अणुन्नाया समागया निययगेहम्मि // 239 / / एवं सिरिकताए ससुरकुले तत्थ अच्छमाणीए / कमलावईदेवीए समयं गुरुपीइजुत्ताए // 240 // धणदेवेणं समयं विसयसुहं सम्ममणुहवंतीए / बहुयाओ अइ| कंता वासाणं कोडिकोडीओ // 241 // युग्मम् // अह अन्नया कयाइवि रिउण्हाया भत्तुणा समं सुत्ता / रयणीचरिमजामे सुमिणं पासित्तु पंडिबुद्धा // 242 // अह भणइ मए पिययम ! सुमिणे चंदो मुहेण पविसंतो / दिट्ठो, तं दणं सहसा बुद्धा तओ अहयं / / 243 // भणिय धणदेवेणं सुंदरि ! पुत्तो भविस्सए तुज्झ / सयलवणिवग्गपवरो इय एवं सूयए सुमिणं // 244 // भणिय सिरिकताए एवं पिय ! होउ वयणयं सच्चं / सासणदेवीपभावा बद्धो एसो मए गंठी // 245 // तीए चिय रयणीए तीए कुच्छिंसि गम्भसंभूई / जाता कमेण जाव | य बोलीणा दोन्नि मासा से // 246 / / तइयम्मि पुणो मासे दोहेलओ तीए अभयदाणम्मि / जाओ धणदेवेणवि "सिढे सो पूरिओ | तीए // 247 / / अह उवचियगम्भा पूरिए दोहलम्मी पसवणसमयम्मी आगयम्मी सुहेण / सुहगहनिवहम्मी उच्चठाणट्ठियम्मी सुहः करणमुहुत्ते दारयं सा पसूया // 248 // साहुधणेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए / रागम्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 1 श्वशुरगृहम् / . पितृगृहम् / 3 कथिता / 4 समकं सह / 5 ऋतुस्नाता / 6 स्वप्नम् / 7 प्रतिबुद्धा जागरिता / 8 सूचयति / 9 दोहदकः / sell 10 देव्या शिष्टे कथिते सति / // 79 // For Private and Personal Use Only