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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailasagarsuri Gyanmandie सुरसुंदरी चरिअं। नवमो परिच्छेओ // 75 // क एसा अदिस्सा सुयणु ! तुह मए विहिया / नाऊण निच्छयं ते इहि पुण पयडिया भद्द ! // 120 // ता मा कुण आसंकं सच्चिय एसा | उ कणगमालत्ति / इय भणिए सो खयरो पहसियवयणो ददं जाओ॥१२१।। अह पणमिय तं देवं कयंजली भणइ चित्तवेगो सो। अइनेहो दक्खिन्नं अहो णु ते मित्तवच्छल्लं // 122 / / परउवयाररया इह महाणुभावा भवंति पयईए। अणुवकयावि परेण बटुंति del सयावि उवयारे // 123 // तुमए दिन जीयं मणसंतावो तुमे य निवविओ / अणहसरीरा एसा जं तुमए मज्झ उवणीया // 124 // | आउलमणस्स पुर्वि तुमए जे किंचि मज्झ उवइ8 / सव्वं भरियघडस्सव तं मह पासेण वोलीणं // 125 / / तुझ पभावा सुरवर! जाओ हं सत्थमाणसो इहि / कायव्वं जं किंचिवि संपइ आइससु तं सव्वं // 126 // भणिय देवेण तओ हवइ हु देवाण दंसणममोहं / | तो भणसु भद्द ! किंचिंवि जेण तयं तुह पयच्छामि // 127 / / तो भणइ चित्तवेगो जइ एवं देसु मज्झ तं किंचि / नहवाहणखयरो | जह न सकए में पराभविउं // 128 / / भणियं देवेण तओ महिलासहियस्स पैहरिओ जं सो। विजाहरकयमेरं विलघिउ दैप्पवामूढो * // 129 / / तेणेव कारणेणं विजाच्छेओ इमस्स संजाओ / ता संपइ असमत्थो भद्द ! तुम सो पराभविउं // 130 // ___अन्नं च / किल पुष्ववेरिएण अवहरिओ जायगरुयरोसेण / तो चित्तवेग! खयराहिवस्स गेहम्मि पड्डिहिसि // 131 // इय तइया | केवलिणा भाविभवं मज्झ साहयतेण / आइ8 ता तुमए होयव्वं खयरनाहेण // 132 // युग्मम् / वेयडदक्षिणाए सेढीए सयलखयरना| हाणं / सामि करेमि संपइ तुमति,किं एत्थ अन्नण ? // 133 // मज्झ पभावाओ तुह सब्बाओ चेव खयरविजाओ। होहिंति पढियसिद्धा मित्रवात्सल्यम् / 1 निर्वापितः शमितः / 3 अनई अक्षतम् / 4 अमोघ-सफलम् / 5 प्रहर्तुमारब्धः प्रदत इति कर्तरि कः / 6 मेरा मर्यादा / |. दर्पण व्यामूढः सन् / // 75 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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