________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यत्वं जं मए तमाइससु। तो भणइ चित्तवेगो सुरवर ! निसुणेसु मह वयणं // 74 // नहवाहणेण नीया जा सा मह भारिया सुदुक्खत्वा / तयवत्थं मं दट्टुं विलवंती कलुणसद्देण / / 75 / / भुयगोहवेढियस्सवि न तारिसं आसि मज्झ मणदुक्खं / जह तीए कलुण| रोवणविलावसई सुणंतस्स // 76 // सा कह चिट्ठइ संपइ जीवइ व नवत्ति मज्झ साहेसु ? / ओहिनाणेण तुम जाणसि पञ्चक्खमिव | सर्व // 77 // ईसिं हसिऊण तओ देवो वजरइ भद्द ! निमुणेसु / सा तुह भजा नीया गंगावत्तम्मि रुयमाणी // 78 // नहवाहणेण | तत्तो छूढा अंते उरम्मि निययम्मि। गुरुसोयपीडियाए किल एवं चिंतयंतीए // 79 // सो मह दइओ तावय भीसणभुयगेहिं गहिय सवंगो। गुरुवियणाए मन्ने होही पाणेण परिचत्तो।।८०॥ अह कहमवि जइ जीवइ तहवि हु मह तेण नत्थिसंजोगो। विजाबलअ|हिएण पावेण इमेण हरियाए / / 8 / / ता संपइ मह जुत्तं मरिउं गुरुसोयदुक्खतेवियाए / सुइणेवि नेव अन्नो पुरिसो मह लग्गए अंगे ||82 // इय मंतिऊण तीए अइउग्गविसं तु भक्खियं सहसा। भंजिय लोयणजुयलं महीयले निवडिया तत्तो॥८३॥ तदवत्थं तं दटुं हाहासद्दो समुडिओ तत्थ / तं सोउं नहवाहणखयरोवि समागओ तत्थ ।।८४॥नाऊण विसवियारं मंते तंते पंउंजई विविहे। | विसनिम्महणे मणिणो आबंधई तीए अंगम्मि // 85 // न य तीए कोवि गुणो जाओ विसधारियाए बालाए / आहूया अह बहवे विसमंतवियोणया खयरा // 86 // सवायरलग्गेहिवि तेहिवि 'पउणा न सकिया काउं / ताहे मयत्ति काउं मयकिच्चं तीए काऊण ||87 // नीया पेयवणम्मी नहवाहणपरियणेण सा वाला / चीयाए पक्खिविउँ तत्तो उद्दीविओ जलणो // 88 // युग्मम् // एत्तियमेवं सुदुःखार्ता / 2 सरंतस्स स्मरतः / 3 ईषत् / 4 छुढा-क्षिप्ता। 5 तप्तया। 6 स्वप्नेऽपि / 7 विकारम् / 8 मन्त्रान् देवादिसाधनानि / 9 तन्त्राणिओषधीन् / 10 प्रयुक्ते / 11 धारियाए प्राकारितया व्याप्तयेत्यर्थः / 12 विज्ञायकाः वेत्तारः / 13 विसहरउवयारेहिषि / 14 प्रगुणा / For Private and Personal Use Only