________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie सुरसुंदरीचरिअंा परिच्छेओ। // 69 // | यणा नाम // 191 / / परिणीया आसि पुरा सुबंधुणा मेहलावइपुरीए / दिवा कणगरहेणं कयाइ अह रायउत्तेणं // 192 / / अंतेउरम्मि | छुढा अइगुरुअणुरायहरियहियएण / सयलोरोहपहाणा जाया अह तस्स बल्लहिया // 193 // एवं मह पचक्खं सव्वंपि हु सासुरे | वसंतीए / वित्तं, तुमएवि सुर्य अजे ! लोयप्पवायाओ // 194 // एसो गहगहियनरो दीसइ सरिसो उ रायउत्तस्स / ता एसो कण गरहो एसावि सुलोयणा नूणं // 195 // भणियमणंगवईए संभासेमो इमं तु नियभगिणिं / किं अम्हे परियाणइ, अहवाविअ भैभला | एसा // 196 // तत्तो गंतु दोहिवि महुरं आभासियावि सा जाहे / नवि जाणइ किंचि फुडं बोल्लइ य बहुअसंबद्धं // 197 // ताहे दोवि जणाई सुधम्मसूरिस्स पायमूलम्मि / करुणापराहिं अजाहिं ताहि नीयाई सविसायं // 198 // युग्मम् / भणिओ अजाहिं गुरू एसा | अम्हाण जिवभगिणी ओ / कि होइ नवा भयवं ! जाया उम्मत्तिया कहवा 1 // 199 // भणियं गुरुणा तत्तो नाणेण वियाणिऊण | परमत्थं / सच्चिय सुलोयणा सा कणगरहो एस जुवराया // 200 // जोगो मइमोहकरो सीसे खित्तो इमाण सुत्ताण / एकाए सव सीए ईसावसगाढकुद्धाए // 201 // तस्स वसेणं दोण्हवि मइसंमोहो इमाण संजाओ / रन्ना य तओ विजा बहवे सदाविआ तत्थ | // 202 / / न य केणवि पउणाई कयाई कालेण रक्खगनराणे / कहवि पमायपराणं नीहरियाई इमाई तु // 203 // भणियं च वसुमईए भयवं ! एयाण मूढचित्ताणं / जइ पेच्छह उबयारं, पडिजोगं देह चिंतेउं / / 204 // ततो गुरुणा तेसिं दिनो उम्मायनासणेपडिट्ठो। पडिजोगो, जायाई दोण्णिवि अह सत्थचित्ताई // 205 // दद्द्ण भगिणिजुयलं सुलोयणा विम्हिया इमं भणइ / किं नाम क्षिप्ता / 2 श्वशुरगृहे / 3 भैभला मूर्खा 4 फुडं-स्पष्टम् / 5 योग: औषधगयोगः / 6 सुप्तयोः / 7 सपत्न्या / 8 वैद्याः / 9 सप्तम्याः स्थाने | षष्ठी / 10 पूर्वस्माद् मतिमोहकराद् योगात् प्रतिकूलो योगः / 11 पटिष्ठः / For Private and Personal Use Only