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परंतु आ तो कपट करवामां एक चतुर अने कसावान् एवो कोइ पण पुरुष, मनुष्योने 1 बेतरवा माटे निर्मल एवो धर्म कहे . ए प्रकारे कहीने मौननो श्राश्रय करी ते सुलसा शांत थए बते जड हृदयवाला माणसोए फरीथी कह्यु. ॥ए । जिनशास
(वसंततिलकावृत्तम् ) 'कित्वेष कोपि कपटैकपटुः कैलावनाख्याति धर्मममलं जनवंचनाय ॥ उक्त्वैति 'मौनमवलंब्यशैमं गतायां, तस्यां जगाद पुनरेवैजनोजेंडात्मा एए
(शार्दूलविक्रीडितवृत्तम्) मा कार्षी 'जिनशासनैककुशले त्वं लोकमध्ये निंदा
"मि स्यानिशासनस्य महती नूनं प्रेनावोन्नतिः॥ सौवीचन्नैनु कूटकोटिघटनैः सटीकते नावना,
२०किंतु प्रत्युत धर्मसंशयकरी सैषा भ्रिाजना॥ ३ ॥ नने विषे एक कुशल एवी हे सुलसा! तुं लोकनी मध्ये नेद न कस्य. कारण के, जिनशासननी म्होटी उन्नति तो खरेखर था प्रमाणेज थाय बे. सुलसाए कद्यु.||
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