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है कहियं च तेहिं सबं जह देवीमंदिरे मुकं ॥६३५॥ एवं च भणंताणं ताणं संखो असंखदुवखत्तो । मुच्छानिमीलियच्छो त
धसत्ति धरणीयले पडिओ॥६३६॥ तत्तो हाहारवपरपरियणउवयारपउणिओ वि निवो । पुण पुण मुच्छिजंतो कह कहमवि चेयर्ण पत्तो ॥६३७॥ चिंतइ विसण्णचित्तो असमिक्खियकारिया अहो! मज्झ । अकयण्णुया अहो! मे कुकम्मचंडालया ही मे ॥६३८॥ एयस्स इत्थिरयणस्स मंदभग्गो अहं अजोग्गोऽम्हि । इय जंपतो पासट्ठिएहिं पुट्ठो किमेवं ? ति॥६३९॥ भणइ ८ निवो मुट्ठोऽहं भो! भो! दुच्चरियचोरचक्केणं । जेण मए अवगणिय विजयनरिंदस्स वच्छलं ॥६४०॥ जयसेणकुमरमिति पम्हुसिउं अकलिऊण पिम्मं च । देवीकलावईए अवहीरिय कुलकलंकं च ॥६४१॥ संभाविऊण सहसा दोसमसंभावणिजमवि तीए। अण्णाणंघेण हहा!! उर्दक्कमवियारिऊण मए ॥६४२॥ आसण्णपुत्तपसवाइ जं मए ववसियं अहण्णेण । तं चिंतिउंट ण तीरइ किमंग! पुण जंपिउं पावं? ॥६४३॥ ता सबहा वि संपइ असुइउकुरुडुव सुद्धिपरिहीणो । अद्दिवावमुहोऽहं विसि-17 ठुलोयस्स किं बहुणा? ॥६४४॥ता भो मंतिपमुहा! कडेहिं चियं रएह पुरबाहिं। पविसित्तु तत्थ जेणं मरामि खिप्पं दुरप्पाऽहं | ॥६४५॥ इय निववयणमतक्कियमायण्णिय परियणो किमेयं? ति। सुण्णो वुण्णो होऊण मुक्कपुक्को विलवइ त्ति ॥६४६॥ हा अजउत्त अइनिग्धिणोऽसि कह ववसियं तए एवं?।सा मुहमंडणमहं कत्थ ? त्ति भणंति जायाओ॥६४७॥ हा! रायंगण-17 मेयं वट्टइ सुण्णं चतं विणा सर्व । मा रूस पसिय आणसु सामिय! तं परियणो भणइ॥६४८॥ हा! हा! ह! त्ति किमेयं घिद्धी एयारिसं विहिविहाणं । नरनारीगणो नयरे रुयइ समंता इय भणंतो ॥६४९॥ दरभुत्तयं पि भत्तं दरपीयं पाणियं पि परि-14
१ विस्मृत्य । २ उदकम्-उत्तरकालम् । ३ भीतः -प्रत इति । ४ दर० अई।
RAKASAROKALKALASS
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