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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोमाजी के नन्दा पारस जिनन्दा, सुरत पर घनघोर ॥ ३ ॥ कहता बनारसी प्रभुजी, में तेरा बन्दा मुखड़े की छबि जोर ॥ ४ ॥ गायन नं. ११ ( बिछूडारी घाली पीवर चाली हो ) म प्रभु के कारण बन में चाली हो सांवरिया | आछो लागे डूंगरियो, सवायो लागे डूंगरियो || ढेर || जूनागढ से ब्याहन प्रभुजी आये हो सांवरियाँ । आछो लागे डूंगरियो । नेमः ॥ १ ॥ तोरन पर आयोडा पिछा फिरिया हो सांवरियाँ । आछो लागे डूंगरियो ॥ २ ॥ पशुवन की तो करुना दिल में धारी हो सांवरिया । आछो लागे डुंगरियो ॥ ३ ॥ संपत तोरे शरणे आयो तारो हो साँवरिया । आछो लागे डूंगरियो ॥ ४ ॥ गायन नं. १२ ( सरोता कहां भूल आई प्यारी नणदोइया ) प्रभुजी ! नहीं भूलना हम को कभी प्यारे प्रभुजी० ॥ टेर || गुण गावें हम हे प्रभु तेरे, सुन अर्जी सबकेरी । अष्ट कर्म जंजाल मिटादो, टालो भव की फेरी ॥ प्रभुजी० ॥ १ ॥ महिमा तेरी पार न पावें, गुण अनन्त भण्डारी | सुरनर कथन करें जो तेरा, कहते न आवे पारी || २ || भरे अनन्त अवगुण से प्रभु हम, उनको ना संभारो। नैया भवसागर में डूबे, जल्दी पार उतारो || ३ || और अधिक कहूं क्या तुजको ? जानत दृष्टान्तरत्नसमुच्चय किं. ०-१-० ( १९ ) For Private And Personal Use Only
SR No.020761
Book TitleStavan Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutlal Mohanlal Sanghvi
PublisherSambhavnath Jain Pustakalay
Publication Year1939
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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