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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie नाङ्गस्त्र 8 यानुवाद | ४ स्थानकाध्ययने उद्देशः४ गर्जितादिमेघपुरुषाः छे अने ४ चोथो बन्ने करतो नथी. (२) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ एक मेघ गाजे छ पण वीजळी करतो | नी, २ वीजळी करे छे पण गाजतो नथी, ३ बन्ने करे छे अने ४ बन्ने करतो नथी. (३) आ दृष्टांत चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष प्रतिज्ञा करे छे पण आडंबर करतो नथी, २ आडंबर करे छ पण प्रतिज्ञा करतो नथी, ३ बन्ने करे छ अने ४ बन्ने करतो नथी. (४) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ एक मेघ बरसे छे पण वीजळी करतो नथी, २ एक वीजळी करे छे पण बरसतो नथी, ३ एक उभय करे छे अने एक उभय करतो नथी. (५) ए दृष्टांत चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष दानादि कार्य करे छे पण आडंबर करतो नथी, २ कोईक आडंबर करे छे पण दानादि करतो नथी, ३ कोईक उभय करे छ अने ४ कोईक उभय करतो नथी. (६) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक मेघ योग्य अवसरे वरसे छे पण अकाळे वरसतो नथी. २ अकाळे वरसे छे पण काळे वरसतो नथी, ३ काळे अने अकाळे बरसे छे अने ४ काळे के अकाळे वरसतो नथी. (७) ए दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष योग्य समये दानादि कार्य करे छे पण अयोग्य समये करतो नथी, २ अयोग्य समये दानादि करे छे पण योग्य समये करतो नथी, ३ योग्य अने अयोग्य समये दानादि करे छ तथा ४ योग्य के अयोग्य समये दानादि करतो नथी. (८) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक मेघ धान्यादिना उत्पत्तिस्थानरूप क्षेत्रमा वरसे छे पण अक्षेत्र-रणभृमिमां बरसतो नथी, २ कोईक रणभूमिमां बरसे छे पण क्षेत्रमा वरसतो नथी, ३ बन्नेमां बरसे छे अने ४ क्षेत्र के अक्षेत्रमा वरसतो नथी, (९) ए दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष पात्रमा RRRRR x॥५१३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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