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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ स्थान भीस्थानारपत्र सानुवाद EXXXX काभ्ययने उद्देशः क्रियावाद्याद्याः सू० ३४५ xxxxxxxxxxxxxxxxxxx उत्पत्ति छ एम कोण जाणे छे ? अथवा एने जाणवावडे शु? सवादि सप्तभंगीनो आ प्रमाणे अर्थ छ-१ स्वरूपमात्रनी अपेक्षाए *वस्तुनुं विद्यमानपणुं छे. २ पररूपमात्रनी अपेक्षाए +असत्व-अविद्यमानपणुं छे. ३ वळी घट विगेरे द्रव्यना एक देशरूप ग्रीवादिना सद्भावपर्यायरूप ग्रीवात्वादिवडे विशेषित घटनुं विद्यमानपणुं होवाथी तथा घटादि द्रव्यना अपर बुध्नादि देशने ज असद्भावपर्यायरूप वृत्तत्वादिवडे अथवा परगत(बीजामा रहेल) पर्यायवडे ज विशेषित घटर्नु अविद्यमानपणुं होवाथी वस्तुनुं सदसत्पणुं छ. ४ समस्त अखंडित ज घटादि वस्तुने अर्थान्तरभूत(भिन्नरूप) पटादि पर्यायोबडे अने पोताना ऊर्ध्व, कुंडल, ओष्ठ, आयत(दीर्घ), वृत्त अने ग्रीवादि पर्यायोवडे युगपत् विवक्षित वस्तुनुं सच के असचवडे कहेवा माटे Xअशक्य होवाथी ते घटादि द्रव्यनु अवक्तव्यपणुं छे. ५ सद्भावपर्यायवडे आदेश( विवक्षा) करायेल घटादि द्रव्यना एक देशनुं सत्त्व होवाथी अने अपर(बीजा) देशनुं स्व-परपर्यायोवडे युगपत् विवक्षित करवाथी सच्चवडे के असचवडे कहेवा माटे अशक्य होवाथी घटादि द्रव्यतुं सद्अवक्तव्यपणुं छे अर्थात् एक देशमां सत्पणुं छे अने अन्य देशमां अवक्तव्यपणुं छे. ६ तेज घटादि द्रव्यना एक देशनु परपर्यायवडे विशेषित करायेल घटनुं असत्पणुं होवाथी अने अपरदेशनुं स्वपरपर्यायथी युगपत् विवक्षित करवावडे तेमज कहेवाने अशक्य होवाथी ते घटादिनुं असद्अवक्तव्यपणुं छे अर्थात् एक देशमा असत्पणुं अने अन्य देशमा अव्यक्तपणुं छे. ७ घटादि द्रव्यना एक देश- स्वपर्यायोथी विशेषित करवावडे सत्त्व होवाथी अने बीजा ____ *घट वस्तु मृत्तिकादि म्वरूपवडे सत् छे. +वस्त्रादि पररूपनी अपेक्षाए घटनु असतूपणुं छे. xघटादि द्रव्यमां सत्त्व अने अमत्त्व एक समयमा विद्यमान छे अने वचनवडे एक अक्षरनो उच्चार करता असंख्य समय लागे माटे अवक्तव्य छे. kxxxxxxxxxxxxxxx ५११॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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