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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmande भीस्थानागपत्र सानुवाद ॥ ४०२।। ४ स्थानकाभ्ययने उद्देशः २ | महाप्रति ० २८५ XXXXXXXxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx बीजाने दमावता नथी १, कोईएक बीजाने दमावे छ पण पोते दमता नथी २, कोईएक पोते दमे छे अने बीजाने पण दमावे छे ३ तेमज कोईएक पोते दमता नधी अने बीजाने पण दमावता नथी. ४. (४) (सू० २८७) चार प्रकारे गर्दा कहेली छे, ते आ प्रमाणे-पोताना दोषना नाश माटे उचित प्रायश्चित्त लेवा सारु हुं गुरु पासे जाउं, आ एक गर्दा १, गर्दा करवा योग्य दोषोनुं विविध प्रकारवडे हुं निराकरण करु, आ बीजी गर्दा २, जे कांई अनुचित कर्यु होय तेनुं मिथ्या दुष्कृत हुं आपुं, आ त्रीजी गर्दा ३, एवी रीते 'स्वदोषनी गर्दा करवावडे दोषनी शुध्धि थाय छे एम जिनेश्वरोए कहेलुं छे' आ प्रमाणे स्वीकार, ते चौथी गर्दा ४ ( सू० २८८ ) टीकार्थ:-'नो कप्पईत्यादि० वे सूत्र सरल छे, परंतु महोत्सव पछी थनार उत्सवनी अनुवृत्तिवडे वीजा पडवाओथी विलक्षण स्वरूपवडे महाप्रतिपदा(पडवा)ओमां ( अहिं कोईक देशनी रूढिबडे 'पाडिवय' शब्दथी कथन कराएल छे) नंदी विगेरे सूत्र विषयक वाचनादिरूप स्वाध्याय करवो कल्पे नहिं, परंतु अनुप्रेक्षा(चिंतन)नो निषेध करायेल नथी. आषाढ मासनी पूर्णिमा पछीनी प्रतिपदा ते आषाढप्रतिपदा. एवीरीते वीजा पडवाओने विषे पण जाणवू. विशेष ए के-इंद्रमहर-आश्विन मासनी पूर्णिमा, सुग्रीष्म-चैत्रमासनी पूर्णिमा. अहिं जे देशमा जे दिवसथी महोत्सवो प्रवर्ते छे ते देशमां ते दिवसनी शरूआतथी *इंद्रमह शब्दनी टोकामां, दीपिकामां तथा प्राचीन टवामां आश्विन मास अर्थ करेल छे परंतु भाद्रपद मास एवो अर्थ नोवामां आवतो नथी. ४०२।। xxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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