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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalirth.org Acharya Shri Kailasagarsur Gyarmandie श्रीस्था * IN नाङ्गसूत्र सानुवाद ॥ ३८२ ॥ XR XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX टीकार्थ:-'चमरस्से'त्यादिकम् अग्रमहिषी संबंधी सूत्रनो विस्तार सरळ छे. विशेष ए के-'महारन्नो'त्ति. ४ स्थानलोकपालनी मुख्य राणीओ-राजानी स्त्रीओ ते अग्रमहिपीओ,'वइरोयण'त्ति विविध प्रकारोबडे रोच्यते-दीपे छे ते विरोचनो, काध्ययने ते ज वैरोचनो-उत्तर दिशामा रहेनारा असुरो,तेओनो इंद्र ते वैरोचनेंद्र.धरणना सूत्रमा 'एव'मिति एम ज जाणवू. कालवाला उद्देशः १ | जेम कोलवाल,शैलपाल अने शंखपालनी एज नामवाळी चार चार अग्रमहिपीओ जाणवी.ए जजणावतां कहे छे'जावसंखवालस्स'- | अग्रमहिप्यः त्ति०(उत्तर दिशानो इंद्र) भूतानंदना सूत्रमा 'एव मिति० एम ज जाणवू. जेम कालवालनी तेम बीजाओनी पण चार चार | विकृतयः अग्रमहिषीओ जाणवी.विशेष ए के-लोकपालोना नाममा त्रीजाने ठेकाणे चोथो कहेबो अर्थात् वरुणना स्थानमां वैश्रमण कहेवो. | कूटागारा जेम दक्षिण दिशाना नागकुमारनिकायना इंद्र धरणना लोकपालोनी अग्रमहिषीओ जे नामवाळी छे तेम बधा दक्षिण दिशाना सू०२७३बाकीना-१ वेणुदेव, २ हरिकान्त, ३ अग्निशिख, ४ पूर्ण, ५ जलकान्त, ६ अमितगति, ७ वेलंच अने ८ घोष-आ आठ इंद्रोना जे लोकपालो सूत्रमा कहेला छे ते वधाओनी तेज नामवाळी अग्रमहिपीओ छे.जेम उत्तर दिशानो नागराज भूतानंद नामना इंद्रना लोकपालोनी अग्रमहिपीओना नामो कहेल छ तेम बाकीना-१ वेणुदाली, २ हरिस्स, ३ अग्निमानव,४ विशिष्ट, ५ जलप्रभ, ६ आमतवाहन,७ प्रभंजन अने ८ महाघोष नामना आठ इंद्रोना लोकपालोनी पण तेज नामवाळी अग्रमहिषीओ छ.एज कहे छ के'जहा धरणस्से'त्यादि० (सू० २७३) सचेतनोनुं अंतर कडं, हवे अंतरना अधिकारथी ज अचेतनविशेष विकृतिओनुं गोरस, स्नेह अने महत्त्वलक्षणरूप अंतरने त्रण सूत्रवडे सूत्रकार कहे छे-'चत्तारी'त्यादि०गायोनो रस ते गोरस, व्युत्पत्ति मात्र आ अर्थ समजवो. 'गोरस' शब्दनी प्रवृत्ति तो भेस विगेरेना दूध,दहिं आदि रसमां छे.शरीर अने मनने प्रायः विकारनो हेतु होवाथी विकृतिओ X॥३८२।। Kxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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