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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीस्था नाङ्गसूत्र सानुवाद ॥ ३८० ॥ ***** www.kobatirth.org अगुत्ते, एवमेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०- गुत्ते णाममेगे गुत्ते ४, चत्तारि कूडागारसालाओ पं० तं०-गुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, गुत्ताणाममेगा अगुत्तदुवारा अगुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा एवामेव चत्तारित्थीओ पं० तं०-गुत्ता नाममेगा गुनिंदिता गुत्ता मेगा अतिंदि ४ । सू० २७५, चउव्विहा ओगाहणा पं० तं० - दव्वोगाहणा खेत्तोगाहणा कालोगाहणा भात्रोगाहणा । सू० २७६, चनारि पन्नत्तीओ अंगवाहिरियातो पं० त० - चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती जंबुद्दीपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती । सू० २७७ चाणस्स पढमो उद्देसओ ॥ १ ॥ मूलार्थ:- असुरेंद्र - असुरकुमारना राजा चमरेंद्रना सोम नामना लोकपाल महाराजानी चार अग्रमहिपीओ कहेली छ, ते आ प्रमाणे - कनका, कनकलता, चित्रगुप्ता अने वसुंधरा. एम ज यमनी, वरुणनी अने वैश्रमण लोकपालनी चार चार अग्रमहिपीओ छे. बलि नामना वैरोचनेंद्र-वैरोचनना राजाना सोम नामना महाराजानी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे- मित्रका, सुभद्रा, विद्युता अने अशनी. एम ज यमनी, वैश्रमणनी अने वरुण लोकपालनी चार चार अग्रमहिषीओ छे. ( १ ) नागकुमारनो इंद्र- नागकुमारना राजा धरणेंद्रना कालवाल नामना महाराजानी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणेअशोका, विमला, सुप्रभा अने सुदर्शना, एवी रीते यावत् शंखपाल नामना लोकपालनी चार अग्रमहिपीओ कहेली छे. भूतानंद For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ स्थानकाध्ययने उद्देशः १ अग्र महिष्यः चिकृतयः कूटागारा! सू० २७३७५ ॥ ३८० ॥
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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