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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिरिवर रज तरूमंजरी रे, शीश चढावे भूप. सलुणा. ७ देवयुगादि पूजतां रे, कर्म होय चकचूर स. श्री शुभवीरने साहिबो रे, रहेजो हईडा हजुर. सलुणा. ८ ४१. हुं तो पायो प्रभुना पाय रे... हुं तो पायो प्रभुना पाय रे, आण न लोपु रे (२) प्रभु सांभली तारा वेण रे, कानमा रोपुं रे. (२). १ जन्म जन्मना फेरा फरता, (में तो) ध्याया न देवाधिदेवा रे, कुगुरु कुशास्त्र तणा उपदेशे, कीधी नहि प्रभु सेवा रे. (२) कनक कथीरनो भेद न जाण्यो, काच मणि सम तोल्या रे विवेकतणी में वात न जाणी विष अमृत करी घोल्या रे... हुं तो. ३ समकितनो लवलेश न समज्यो, (हुं तो) मिथ्यामतमां खूच्यो रे, मायातणा पंथे परिवरीयो, विषये करी विलुध्यो...रे ४ कोई पूरवना पुन्य संयोगे, आरज कुल अवतर्यो रे, आदीश्वर साहिब मुज मलीयो, तारक भवजल तरीयो रे.५ एटला दिन में वात न जाणी, तुजथी रहीयो अलगो रे, उदयरतन कहे आज थकी हुं, तारे पाये वलग्यो रे. हुं तो पायो.६ ४२. जिणंदा प्यारा... जिणंदा प्यारा, मुणिंदा प्यारा, देखो रे जिणंदा भगवान, देखो रे जिणंदा प्यारा... सुंदर रूप स्वरूप विराजे (२), जगनायक भगवान देखो रे...१ ८० For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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