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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदीश्वर अलवेसर आवी समोसर्या, पुन्य भूमिमा पूर्व नव्वाणुं वार जो; अरिहंत श्री अजितेश्वर शांतिनाथजी, रह्या चोमासु जाणी शिवपुर द्वार जो. सूर्यवंशी सोमवंशी यादव वंशना, नृप गण पाम्या निर्मल पद निर्वाण जो; महा मुनीश्वर ईश्वर पद पूरण वर्या, शिवपुर श्रेणी आरोहण सोपान जो. त्रण भुवनमा तीरथ तुज सम को नहि, एम प्रकाशे सीमंधर महाराज जो; तारा शरणे आव्यो हुँ उतावलो, तार तार ओ गिरिवर गरीब निवाज जो. हुं अपराधी पापी मिथ्याडंबरो, फोगट भूल्यो भवमां तुम विना एक जो; हवे न मूकुं मोहन मुद्रा ताहरी, ए मुज मोटी वंशनालनी टेक जो. पल्लो पकडी बेठो बापजी लांघवा, आप आप तुं भक्त वत्सल भगवान जो; अंते पण देवू रे पडशे साहिबा, शी करवी हवे खाली खेचताण जो? मल निक्षेपने आवरण त्रिक दूरे करी, छेल छबीला आव्यो आप हजूर जो; आत्म समर्पण कीर्छ अति उमंगथी, ५९ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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