SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ११. प्यारो लागे सारो लागे... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्यारे लागे सारो लागे आछो लागे राज, ऋषभ जिणंद मने प्यारो लागे राज, प्यारो लागे सारो लागे नीकोलागे राज, मरुदेवीनो जायो मने प्यारो लागे राज. नाभिराय फूलचंद ऋषभ जिणंद, दीपे दीपे दुनियामां दिस्यो रे दिणंद. टाल्यो टाल्यो मिथ्यात्व कियो रे उद्योत, जागी जागी भविजन अंतरंग ज्योत. पाम्यो पाम्यो हवे तुज चरणोनी वास, अधिक अधिक प्रभु पूरो मारी आश. धर्म चतुर्विध कीयो रे प्रकाश, आपो आपो अनुभव ज्ञान प्रकाश. भम्यो भम्यो हतो एता दिवस अजाण, सुणी नहि शुभ चित्ते प्रभु मुखवाण. आपो आपो हवे मुज ज्ञान प्रकाश, ज्ञानविमल प्रभु पुरो मारी आश. मांगु मांगु महानंद पद मोरा देव, सारो चित्त देजो साहिब चरणनी सेव. १२. आज मारा नयणा सफल थया... आज मारा नयणा सफल थया श्री सिद्धाचल निरखी, गिरिने वधावुं मोतीडे मारा हैयामां हरखी. ५५ For Private and Personal Use Only १ २ ३ ५ ६ ७ ८
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy