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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ज्यां गिरिवर चडतां भावे, रामपोल छल्ले आवे; डोलीवालानुं विसामानुं ठाम छे. ज्यां नदीं शत्रुंजी वहे छे, सूरज कुंड शोभा दे छे; न्हायो नही जे एनुं जीवन बे बदाम छे. ज्यां सोहे शांतिनाथ दादा, सोलमा जिन त्रिभुवन भ्राता; पाले जतां सौ पहेलां प्रणाम छे. ज्यां चक्केश्वरी छे माता, वाघेश्वरी दे सुखशाता; कवडजक्षादी सौ देवता तमाम छे. ज्यां आदीश्वर बिराजे, जे भवनी भावठ भांजे; प्रभुजी प्यारा निरागी निष्काम छे. ज्यां सोहे पुंडरिक स्वामी, गिरुआ गणधर गुणधामी; अंतर जामी आतमना आराम छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्यां रायण छांय निलुडी, प्रभु पगलां परे परे रूडी; शीतलकारी ए वृक्षनो विराम छे. ज्यां नीरखीये नव टुंको, पातिकनो थाये भूको; दिव्य दहेरानी अलौकिक ठाम छे. सौ. ज्यां गृहिलींग अनंता, सिद्धि पद पाम्या संता: पंचम काले ए मुक्तिनुं मुकाम छे. ज्यां कमलसूरि गुण गावे, ते लाभ अनंतो पावे; जात्रा करवा मनडाने मोटी हाम छे. ३. विमलगिरिने भेटता विमलगिरने भेटता सुख पायो रे (३) ४८ For Private and Personal Use Only ६ ८ सौ. ९ १० ११ १२ १३ सौ. १४ सौ. १५
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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