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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिन दिन दोलत दीपे अधिकी, ज्ञान विमल गुण नूर जी, जीत तणां निशान वजावो, बोधिबीज भरपूर जी. ४ (१७) ऋषभजिन सुहाया, ऋषभजिन सुहाया, श्री मरुदेवी माया, कनक वरण काया, मंगला जास जाया; वृषभ लंछन पाया, देव नर नारी गाया, पणसय धनु छाया, ते प्रभु ध्यान ध्याया. ए तीरथ जाणी, जिन त्रेवीश उदार, एक नेम विना सवि, समवसर्या निरधार; गिरि कंडणे आवी, पहोंता गढ गिरनार, चैत्री पूनम दिने, ते वंदु जयकार. ज्ञाताधर्मकथांगे, अंतगड सूत्र मझार, सिद्धाचल सिध्या, बोल्या बहु अणगार; माटे ए गिरि, सवि तीरथ शिरदार, जिन भेटे थावे, सुख संपत्ति विस्तार. गोमुख चक्केसरी शासननी रखवाल, ए तीरथकेरी, सांन्निध्य करे संभाल; गिरुओ जस महिमा, संप्रति काले जास, श्री ज्ञानविमलसूरि, नामे लील विलास. (१८) प्रह उठी वंदु प्रह उठी वंदु, ऋषभदेव गुणवंत, ४२ For Private and Personal Use Only १ २ ३ ४
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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