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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं, आयंबिलं । निवि विगईओ पच्चक्खाइ अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, लेवा-लेवेणं, गिहत्थ-संसट्टेणं, उक्खित्त-विवेगेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरा-गारेणं, सब-समाहि-वत्तिया-गारेणं, एगासणं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं- असणं, खाइमं, साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, सागरिया-गारेणं, आउंटण-पसारेणं, गुरु-अब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहुलेवेण वा, ससित्येण वा, असित्येण वा वोसिरइ. ६. तिविहार उपवास / पाणहार सूरे उग्गए अब्भत्तठें पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारंअसणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, पारिट्ठावणिया-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तियागारेणं, “पाणहार पोरिसिं / साड्ढ-पोरिसिं सूरे उग्गए पुरिमड्ढ | अवड्ढ मुट्ठि-सहि पच्चक्खाइ, अनत्थणाभोगेणं, सहसा-गारेणं, पच्छन्न-कालेणं, दिसा-मोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरा-गारेणं, सब-समाहि-वत्तिया-गारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहुलेवेण वा, ससित्येण वा, असित्येण वा वोसिरइ. (*पाणाहार का पच्चक्खाण यहां से लें.) १५ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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