SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरुग्गबोहिलाभं, समाहिवर मुत्त मंदिन्तु. चंदेसु निम्मलयरा, आईच्चेसु अहियं पयासयरा, सागरवरगंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु. खमासमण सूत्र इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए मत्थएणं वंदामि. ( इस प्रकार तीन खमासमण देकर ) इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! चैत्यवंदन करूं? इच्छं. (कहकर बाँया गोडा उपर करके .) सकल कुशलवल्ली, पुष्करावर्त मेघो, दुरित तिमिर भानुः कल्पवृक्षोपमानः, भवजलनिधि पोतः सर्व संपत्ति हेतु:: स भवतु सततं वः श्रेयसे शांतिनाथः श्रेयसे पार्श्वनाथः. चैत्यवंदन श्री शत्रुंजय सिद्धक्षेत्र, दीठे दुर्गति वारे; भावधरीने जे चढे, तेने भवपार उतारे... अनंत सिद्धनो एह ठाम, सकल तीर्थनो राय; पूर्व नव्वाणुं ऋषभदेव, ज्यां ठविया प्रभु पाय. सूरजकुंड सोहामणो, कवडजक्ष अभिराम; नाभिराया कुलमंडणो, जिनवर करूं प्रणाम. जंकिंचि सूत्र . जंकिंचि नाम तित्थं, सग्गे पायालि माणुसे लोए, ८ For Private and Personal Use Only १ २ ३
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy