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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रण जगतना तारक बिराजे, आदि जिनवर मंदिरे; अद्भुत ज्योति झलहले जे जोई देवो पण ठरे, धरुं ध्यान गिरिशणगार जगदाधार आदि जिणंद हे. ४ श्री विमलगिरितीर्थेश, आदिनाथनुं धरे ध्यान जे, षट् महिना लागलगाट पामे दिव्य तेज प्रकाश ते; चक्केश्वरी तस इष्ट पूरे, कष्ट नष्ट करे सदा, धरुं ध्यान गिरिशणगार जगदाधार आदि जिणंद हे. ५ भक्तो तणी भीडमां प्रभु मुजने तुं भूली ना जतो, दूरदूरथी तुजने नीरखवा, आश लई हुं आवतो; क्षणवार पण तुज मुखतणां दर्शन थतां हुं नाचतो, धरूं ध्यान गिरिशणगार जगदाधार आदि जिणंद हे. ६ हे नाथ! तारुं मुखडु जोवा, नयन मारां उल्लसे, हे नाथ! तारां वयण सुणवा श्रवण मारा उल्लसे; हे नाथ! तुजने भेटी पडवा अंग अंग समुल्लसे, धरूं ध्यान गिरिशणगार जगदाधार आदि जिणंद हे. ७ कलिकालमां अद्भुत जोई दिव्य तुज प्रभावने, . भगवान मांगु एटलुं भवोभव मलो भक्ति मने; तुज भक्तिथी 'मुक्तिकिरण' नी ज्योत जागो अंतरे, धरुं ध्यान गिरिशणगार जगदाधार आदि जिणंद है. ८ श्री सिद्धाचल नयणे जोतां (राग : अंतरना आ कोडियामां....) श्री सिद्धाचल नयणे जोतां, हैयुं माझं हर्ष धरे, For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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