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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुक्ति से भक्ति प्यारी... कहते ज्ञानी ध्यानी इसके चरणकमल में... बीते सारी जिंदगानी सच्चे दिलसे ध्यान लगा दो... होवे वारा न्यारा... सिद्धाचल का. इस तीरथ के कंकर... पथ्थर हम बन जाये भक्त हम पे चलकर ... दर्शन तेरा पाये अंतिम इच्छा पूरी होवे... जीवन हो सुखकारा... सिद्धाचल का. सिद्धाचल का आदिनाथ लीला अजब दीखाता इसके चरण में जो भी आये, बेडा पार लगाता राय और रंक को भी तारे जग के तारण हारा... For Private and Personal Use Only सिद्धाचल का. ४९. आशरा इस जहां का... आशरा ईस जहां का मिले ना मिले मुज को तेरा सहारा सदा चाहिये... यहां खुशीयाँ है कम और ज्यादा है गम जहां देखो वहां है भरम ही भरम मेरी महेफील में (२) शमां जले ना जले मुजको तेरा उजाला सदा चाहिये मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल हर कदम पर मुसीबत है... अब तो संभाल : पैर मेरे थके है... (२) चले ना चले... मुजको तेरा इशारा सदा चाहिये १३६ आशरा. आशरा. आशरा.
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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