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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ते पापो प्रभुने कहेतो जा. दुःखोथी भारे दोषो छे, जेने तुं निशदिन पोषे छे, ते दोषो प्रभुने कहेतो जा. दुनियामां एक शरणुं साचुं, अरिहंत तणी भक्ति याचुं, तारा भक्तने चरणे धरतो जा. जा तारो० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हे मरूदेवीना जाया, मांगु तारी माया, १२५ ३२. सिद्धाचल का नाथ प्यारा सिद्धाचलका नाथ सबको प्यारा लगता है ... सिद्धाचल का नाथ सबको प्यारा लगता है, सब तरी में यह तीरथ तो न्यारा लगता हैं; तुं है नायक, तुं है रक्षक, तुं तो मालिक है. सिद्धाचल का० तेरे सिवा इस दुनियामें कौन पालक है, सभी नाम में तेरा नाम प्यारा लगता है, सिद्धाचल का० सबको प्यारी, जगमें न्यारी, मूर्ति सुहानी है, तेरे नाममें सारी दुनिया, कैसी दिवानी है. सिद्धाचल का० इस तीरथमें आकर मुझको, अच्छा लगता है, तेरे शरणे जो भी आये, मुक्ति पाते है. मेरे जैसे तेरे शरण में, गीत गाते है, तेरी भक्ति करना मनको, सुंदर लगता है. सिद्धाचल का० ३३. हे मरूदेवीना जाया ( राग हे त्रिशलाना जाया) जा तारो० For Private and Personal Use Only जा तारो० सिद्धाचल का०
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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