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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धाचल, श्री विमलाचल, मुक्तिनिलय गिरि नाम(२) इम शतअष्ट नाम धरीने करजो सघला काम(२) पापी मटीने पावन थइए, भेटीए गिरिराज... भव सागरने तरवा माटे कलिकाले छे जहाज(२) थइ सुकानी उपर बेठा त्रण भुवन शिरताज(२) वहेला मोडा तारजो रे देइ समकित दानमा... श्री सीमंधर महिमा भाखे महिमावंतुं धाम(२) कांकरे कांकरे सिध्या अनंता श्री सिद्धाचल धाम(२) गिरिवरने वंदता रे वर्ते आनंद अंगमां... २१. परमपुरूषनो पंथ मल्यो छे.... परमपुरूषनो पंथ मल्यो छे, मनगमतो भगवंत मल्यो छे, चालो पावन थइए, चालो आपणे जइए. सिद्धाचलनी जात्रा करवा, चालो आपणे जइए. कांकरे कांकरे सिध्या अनंता, थाशे भावि अनंत, त्रिकरण योगे पूजा करशुं करीशुं भवनो अंत, जगनो साचो संत मल्यो छे, मनगमतो भगवंत मल्यो छे २ सिद्धाचल सोहामणु तीर्थ, सहु तीरथ शीरताज, अलबेलो आदीश्वर गाजेसाहिब गरीब निवाज. कलियुगनो ए कल्प मल्यो छे; जगनो साचो संत मल्यो छे, शीतल छायडे रहीए त्रणे लोकमां तीरथ न एवं श्री सीमंधर बोले; मानव त्यां जइ देव बने पण, साचु अंतर खोले कला : ११८ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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