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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ww Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केसर चंदनना भर्या वाटका, पुष्पो चढाउ प्रभुजीने आज रे. आदि०८ हीरविजय गुरुहीरलो, वीरविजय गुण तमारा गाय रे. आदि०९ ६१. मनना मनोरथ सवी फल्या मनना मनोरथ सवी फल्या, श्री सिद्धाचल देखी; अनुभव आनंद उछल्यो, अन्ध श्रद्धा उवेखी. मन० १ सहजानन्द श्रीनाथजी, विश्वानन्द वखाणो; शत्रुजय शाश्वतगिर्, त्रण्य भुवननो राणो. मन०२ मुक्तिराज विजयी सदा, अजरा सुखवासी; विमलाचलने वन्दतां, मटे सकल उदासी. मन०३ पापी दुरभवी प्राणिया, देखे नहि शुद्धि स्थान; गुरु भक्तिमंत प्राणिया पामे अमृतपान. मन०४ द्रष्टा दृश्यपणुं वरे, थाय पूजक पोते; रत्नचिन्तामणि हस्तमां, क्या तुं परमां गोते. मन०५ दर्शन दुर्लभ ताहरां; विरला कोई पामे; बुद्धिसागर ध्यावतां, मलिया निश्चय ठामे. मन०.६ ६२. सिद्धाचल यात्रा करो सिद्धाचल यात्रा करो, भवी साचा भावे; शत्रुजयने सेवतां, रोग शोक न आवे. सिद्धाचल० १ द्रव्यथी शत्रुजयगिरि, भावे आतम पोते; ध्यानसमाधियोगथी, मलो ज्योतिज्योते. सिद्धाचल० २ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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