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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चैतर वदी आठम लीये, संजम महावडवीर लाल रे. जग०३ फागण वदी अग्यारशे, पाम्या पंचम नाण लाल रे; महावदि तेरसे शिव वर्या, योगनिरोध करी जाण लाल रे. जग०४ लाख चोराशी पूरवतणुं, जिनवर उत्तम आय लाल रे; पद्मविजय कहे प्रणमतां, वहेलुं शिवसुख थाय लाल रे. जग०५ ५२. मन मोहन तुं साहिबो... मनमोहन तुं साहिबो, मरूदेवी मात मल्हार लाल रे; नाभिराया कुलचंदलो, भरतादिक सुत सार लाल रे.मन० १ युगलाधर्म निवारणो तुं मोटो महाराज लाल रे; जगत दारिद्र्य चूरणो, सारो हवे मुज काज लाल रे.मन० २ ऋषभ लंछन सोहामणो, तुं जगनो आधार लाल रे; भवभय भीता प्राणीने, शिवसुखनो दातार लाल रे. मन० ३ अनंत गुण मणि आगरूं, तुं प्रभु दीनदयाल लाल रे; सेवक जननी विनति, जन्ममरण दुःख टाल लाल रे.मन० ४ सुरतरू चिंतामणी समो, जे तुम सेवे पाय लाल रे; ऋद्धि अनंति ते लहे, वली कीर्ति अनंती थाय लाल रे. मन०५ ५३. मैं सिद्धाचलकी भक्ति... मैं सिद्धाचलकी भक्ति रचा सुख पालुं रे, ८८ For Private and Personal Use Only
SR No.020745
Book TitleSiddhachal Vando Re Nar Nari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherMahendrasagar
Publication Year
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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