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श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि
आ चार वीरनुं पूजन तलवटना लाडवा चार अने श्याम फूलफळथी करवू।
।।इति द्वारपाल-वीरवलयम्।। विमलस्तत्परिवारो, देवा देव्यश्च सदृशः। बलिपूजां प्रतीच्छन्तु, सन्तु सङ्घस्य शान्तये ।।१।।
आ श्लोक बोली विमलवाहन वगेरे देवो उपर कुसुमांजलि करवी ।
।।अथदिक्पालपूजनम्।। ॐ ह्रीं अः वज्राधिपतये स्वगणपरिवृताय इदमर्थ्य पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरुं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।१।।आगळ पहेलानी माफक बोलवू. ॐ 6 6 रः सः अग्नये स्वगण...।।२।। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं क्ष: फट् यमाय स्वगण...।।३।। ॐ ग्लौं हाँ नैऋताय स्वगण...।।४।। ॐ म्लौं हूँ वरुणाय स्वगण...।।५।। ॐ म्लौं जौं वायवे स्वगण...।।६।। ॐ ब्लौं हाँ कुबेराय स्वगण...।।७।। ॐ ह्राँ हूँ ह्रौं हा ईशानाय स्वगण...।।८।। ॐ क्षों ब्लौं सोमब्रह्मणे स्वगण...।।९।। ॐ क्षौं ब्लौं पद्मावतीसहिताय नागेन्द्राय स्वगण...।।१०।। इन्द्रस्तस्य परिवारो, देवा देव्यश्च सदृशः । बलिपूजां प्रतीच्छन्तु, सन्तु सङ्घस्य शान्तये ।।१।।
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