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मलनायक श्री चन्द्रप्रभस्वामी जी को प्रतिमा १६५९ की यहां विराजमान है मलनायकजी के आसपास दोनों तरफ एक-एक प्रतिमाजी छोड़कर १२९३ के लख से अंकित पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा दोनों तरफ हैं। दोनों प्रतिमाजी एक जैसी ही, फणों से युक्त अद्धितीय है ।
धातु की प्रतिमाजी श्री अजीतनाथ प्रभु के दोनों तरफ सम्प्रतिराजाके चिन्ह
* वाली प्रतिमाएं हैं। डाबी तरफ श्री नेमिश्री चन्द्रप्रभ स्वामीजी नाथ प्रभुजी की प्रतिमा जी है जिस पर १३२४ का लेख अंकति है।
मूलनायक जो श्री चन्द्रप्रभस्वामी के दाईं तरफ दिवाल में गोखला है जिसमें श्यामवर्णी ९ फणा वाली प्रतिमा अष्ट प्रतिहार्यो से युक्त हैं। गादो को दोनों तरफ स्त्रीयों की आकृति उभरी हुई है । प्रतिमाजी अतिप्राचीन है जिस पर लेप किया गया है । प्रतिमाजी दर्शनीय है।
मूलनायक जी के आस पास श्री महावीर स्वामोजी तथा शान्तिनाथजी की प्रतिमाजी विराजमान है जो कि सम्प्रति कालीन है। __ मूलनायक जो की दाईं तरफ श्री पार्श्वनाथ जी मूलनायक है। जो कि सम्प्रति कालीन है । प्रतिमाजी श्वेतवर्णी ९ फणों से युक्त है। उनकी दाईं तरफ श्री आदिनाथ जी की प्रतिमा जी है जो कि सम्प्रति कालीन प्रतिमा है। उसके पास श्यामवर्णी ७ फणों से युक्त है। नागराज के फणों पर हाथ टिकाये प्रतिमाजी आकर्षक लगती है। उसके पास पुनः सम्प्रति कालीन आदिश्वर प्रभु की प्रतिमाजी है। दाईं ओर कोने में सात फणों से युक्त श्याम पार्श्वनाथजी की प्रतिमा शीला में उपसाई गई है। प्रतिमाजी पर लेप किया गया है। बाई तरफ दीवाल में गोखला है उसमें श्वेतवर्णी विशाल प्रतिमाजी पाव नाथजी की है जो कि फण रहित है जिस पर दसमुख संवत ४८ का शिलालेख अंकित है।
श्री पाश्वनाथजी
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