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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीपाल - चरितम् ॥ १४६ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करकेतन श्वेतरल विशेष और चौंतीस हीरा सहित गोला चढाया आठ प्रातिहार्यकी अपेक्षा आठकरकेतनरत्न और चौंतीस अतिशयकी अपेक्षा चौंतीस हीरा चढाया ॥ ११८६ ॥ सिद्धपए पुण रत्ते इगतीसपवालमट्टमाणिक्कं । नवरंगघुसिणविहियप्पलेवगुरुगोलयं ठवियं ॥ ११८७ ॥ अर्थ - लालवर्ण करके व्यवस्थापित सिद्धपदमें इकतीस मूंगिया और आठ माणिक सहित नवीन रक्तत्वयुक्त केसरका विलेपन किया जिसमें ऐसा गोला चढावे ॥ आठकर्मके क्षय होनेसे उत्पन्न हुआ आठ गुण उन्होंकी अपेक्षा आठ माणिक चढाए इकतीस गुणकी अपेक्षा इकतीस प्रवाला चढाया ॥। ११८७ ॥ कणयाभे सूरिपए, गोलं गोमेयपंचरयणजुयं । छत्तीसकणयकुसुमं, चंदणघुसिणंकियं ठवियं ॥ १९८८ ॥ अर्थ- सोने के जैसा वर्ण ऐसे आचार्यपद में पांचगोमेदरत्न और छत्तीस सोनेके पुष्पसहित चंदनकेसरका विलेपन सहित गोला चढाया ज्ञानादि पांच आचारयुक्त होनेसे पांच गोमेद रत्न और छत्तीसगुणयुक्त होनेसे छत्तीस सोने के पुष्प चढाए । ११८८ ॥ उज्झायपए नीले, अहिलयदलनीलगोलयं ठवियं । चउरिंदनीलकलियं, मरगयपणवीसपयगजुयं १९८९ अर्थ - नीलवर्ण से व्यवस्थापित उपाध्याय पदमें नागरवेल के पत्रोंसे वीटा हुआ गोला चढाया ४ इन्द्रनील नीलमणि For Private and Personal Use Only भाषाटीकासहितम्. ॥ १४६ ॥
SR No.020724
Book TitleShripal Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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