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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CARECRUST अर्थ-और कंठमें लगी भई कहनेलगी हा इतिखेदे हे वत्स कितने कालसे ते हमको मिला है और किस २ देशमें | फिरा है ॥ ७१४ ॥ सणिओसि हंसदीवे, पत्तो कुसलेण पवहणारूढो। तत्तो इह संपत्तो, कहं कहं पुत्तय कहेसु ॥७१५॥ 2 अर्थ-हे पुत्र तैं जहाजपर बैठके कुशलसे हंसद्वीप पहुंचा ऐसा हमने सुनाथा वहांसे किस प्रकारसे यहां आया सो हमसे कह ॥ ७१५॥ टूएगा भणेइ भत्तिजओसि, अन्ना भणेइ भायासि । अवरा कहेइ महदेवरोसि, पुन्नेण मिलिओसि ७१६ है। अर्थ-एक डोमनी कहे मेरा भतीजा है भाईका पुत्र है और डोमनी कहे मेरा भाई है और कहे मेरा देवर है| पुण्यसे मिला है ॥ ७१६ ॥ डुंवो भणेइ सामिय, मह लहुभाया इमो गओ आसि।संपइ तुम्ह समीवे ठिओवि नो लक्खिओ सम्मं॥ __ अर्थ-अब डोम राजाके सामने देखके बोला हे स्वामिन् यह मेरा छोटाभाई कहांभी चला गयाथा इस वक्त में आपके पासमें बैठा हुआ अच्छी तरहसे पहिचाना नहीं ॥ ७१७ ॥ एएण कारणेणं, माणमिसेणं अणाविओ पासे । उवलक्खिओ य सम्म बहुलक्खणलक्खिओ एसो ७१८|| CAESAACAREERACK श्रीपाच. For Private and Personal Use Only
SR No.020724
Book TitleShripal Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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