SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६८) पोरसिं साड्डपोरसिं पुरिम8 अवटुं वा पच्चरकामि. उग्गए सूरे चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्न० सह० पच्छ० दिसा० साहु० सव्व० एकासणं एगहाणं दत्तियं पञ्चरकामि. तिविहं चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्ण० सह० सागा. आउ० गुरु० पारि० मह० सय विगइओ पञ्चरकामि. इत्यादिपूर्ववत्. देसावगासियं इत्यादि पूर्ववत् ॥ ९॥ इति दत्तिपच्चरकाण ॥ ८॥ दिवसचरिमं पञ्चरकाइ. चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्न सह० मह० सव्व० वोसिरइ ॥ इति दिवसचरिम पचरकाण ॥१०॥ दिवसचरिमं पञ्चरकामि दुविहंपि आहारं असणं खाइमं अण्ण सह० मह० सव० वोसिरामि. देसावगासियं पूर्ववत् ॥ इति दिवसचरिम दुविहार पञ्चरकाण ॥ १० ॥ पाणहार दिवसचरिमं पञ्चरकामि अन्न सह० मह० सब वोसिरामि ॥ इति पाणहार पच्चरकाण ॥ १०॥ भवचरिमं पच्चरकाइ तिविहंपि चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्न० सह० मह० सब० वोसिरह ।। आगार ॥४॥ भवचरिम दो आगारकामी होय ।। इति भवचरिम पञ्चरकाण ॥ __ तथा इमहिज गंडिसहियं मुट्टिसहियं अंगुट्ठसहियं प्रमुख अभिग्रह पचरकाणकेभी ए चार आगार. अण्ण सह० मह० सब० वोसिरइ ॥ पांचमो चोलपट्टागारेणं सो साधुकों होय ॥ इति अभिग्रह पञ्च० ॥ अहण्णं भंते तुम्हाणं समीचे देसावगासियं पच्चरकामि दवओ खित्तओ कालओ भावओ दवओणं देसावगासियं खित्तओणं इत्थ For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy